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दूरसंचार परीक्षण में कोई शंका नहीं, सिब्‍बल का दावा

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कपिल सिब्बल-kapil sibal

नई दिल्ली। केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्‍बल ने दूरसंचार परीक्षण और सुरक्षा प्रमाणीकरण के बारे में बृहस्पतिवार को कहा कि हाल ही में बंगलुरू स्‍थित भारतीय विज्ञान संस्‍था और चीन की कंपनी हुआवई के बीच दूर संचार उपकरणों का अध्‍ययन करने के लिए प्रलेखन, विशेषज्ञता, तौर-तरीके और मानक उपलब्‍ध कराने के लिए हुए समझौता ज्ञापन के बारे में जो आशंकाएं व्‍यक्‍त की गई हैं वे तथ्‍यों के उचित आंकलन पर आधारित नहीं हैं।

सिब्बल ने कहा कि सरकार ने दूरसंचार परीक्षण और सुरक्षा प्रमाणीकरण संबंधी एक केंद्र को हाल ही में स्‍वीकृति प्रदान की है, यह पहले से ही आईआईएस बंगलुरू में एक प्रायोगिक परियोजना थी, इस केंद्र को समय के बीतने के साथ-साथ 60 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर एक पूर्णकालिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें 50 करोड़ रुपए सरकार देगी। यह निर्णय इस बात को ध्‍यान में रख कर लिया गया था कि आज के बहुसंचालक/ विक्रेता पर्यावरण में नेटवर्क और संबद्ध सेवाओं की सुरक्षा को खतरा है और डाटाबेस की चोरी और दुरुपयोग की संभावनाएं हैं, साथ ही नेटवर्क के जरिए व्‍यक्‍तिगत जानकारी और सुरक्षा को खतरा आजकल में बहुत बढ़ गया है। उन्‍होंने कहा कि प्रस्‍तावित केंद्र नेटवर्क के विभिन्‍न उपकरणों के लिए परीक्षण, सत्‍यापन और सुरक्षा प्रमाणीकरण के लिए मानक और नीतियां तैयार करेगा तथा सुविधाएं उपलब्‍ध कराएगा, ताकि नेटवर्क को सुरक्षित और घरेलू तथा विदेशी खतरों से बचाया जा सके। इस केंद्र में नेटवर्क की सुरक्षा के लिए परीक्षण सुविधाएं और क्षमता निर्माण भी उपलब्‍ध करायी जाएगी।

संचार मंत्री ने कहा कि विश्‍व में तैयार किए जा रहे दूरसंचार हार्डवेयर पर परीक्षण करने के लिए आईआईएस, बंगलुरू ने अमरीका, यूरोप और एशिया के कई विक्रेताओं से संपर्क स्‍थापित किया था। परीक्षणों के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी की व्‍यावसायिक रूप से गुप्‍त प्रवृत्‍ति को ध्‍यान में रखते हुए सभी विक्रेता सामान्‍य रूप से इस बात पर जोर देते थे कि परीक्षण प्रयोगशालाओं को जानकारी प्रकट न करने के समझौते' पर हस्‍ताक्षर करने चाहिए, जिसमें प्रयोगशालाओं पर यह बाध्‍य होगा कि वे अपनी अध्‍ययन रिपोर्टों को विक्रेता की पूर्वानुमति के बिना सार्वजनिक नहीं करेंगे। सिब्‍बल ने कहा कि हुआवई ने अन्‍य विक्रेताओं से पहले सार्थक जवाब दिया और इसलिए आवश्‍यक समझौता ज्ञापन पर आईआईएस, बंगलुरू और हुआवई के बीच 15 जून 2011 को हस्‍ताक्षर किए गए। संचार मंत्री ने कहा यह ज्ञात हो कि हुआवई आईआईएस बंगलुरू को प्रयोगशाला स्‍थापित करने में कोई सहायता नहीं कर रहा है, क्‍योंकि आईआईएस ने पुरानी प्रायोगिक परियोजना के हिस्‍से के रूप में उसे पहले ही स्‍थापित कर लिया है, जहां सभी उपकरण और सॉफ्टवेयर उनके अपने ही हैं। दोनों के बीच हुआ समझौता ज्ञापन अत्‍याधिक रूप में जानकारी को गुप्‍त रखने जैसा है, ताकि हुआवई से प्राप्‍त जानकारी को आईआईएस अन्‍यों को प्रकट न कर सके।

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