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युवा हिंदी को बढ़ावा दें-उच्चायुक्त का आह्वान

यू्के में तीन दिन का हिंदी सम्‍मेलन

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हिंदी सम्‍मेलन-hindi conference

बर्मिंघम। लंदन में हिंदी की जबरदस्त गूंज रही। हिंदी के विद्वानों और हिंदी प्रेमियों के तीन दिन के आयोजन में माना गया कि हिंदी के बिना कुछ नहीं है। भारतीय उच्‍चायोग और प्रधान कोंसुलावास बर्मिंघम के संरक्षण में गीतांजलि बहुभाषी साहित्‍यक समुदाय ने गीतांजलि ट्रेंट, चौपाल, एचसीए वेल्‍स, सैंडवेल कंफेडरेशन ऑव इंडियंस, संत निरंकारी मंडल यूके, कथा यूके, भारतीय भाषा संगम, नेशनल काउंसिल ऑव हिंदू प्रीस्‍ट्स, संस्‍कृति यूके, डीयूटी नीदरलैंड के सहयोग से 24 से 26 जून तक बर्मिंघम के एस्‍टन विश्‍वविद्यालय प्रांगण में यूके क्षेत्रीय हिंदी सम्‍मेलन का आयोजन किया। सम्‍मेलन का उद्घाटन भारत के उच्‍चायुक्‍त नलिन सूरी ने किया। इस अवसर पर सैंडवैल की डिप्‍टी मेयर काउंसलर एनी शैकिल्‍टन, लॉर्ड तरसेम किंग, बेरनेस संदीप वर्मा, एस्‍टन विश्‍वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर जूलिया किंग, कोंसुल जनरल सी गुरुराज राव, हरमोहिंदर सिंह भाटिया उपासक और सैंडवेल के पुलिस उपाधीक्षक कैंपबेल भी उपस्‍थित थे।

देश-विदेश से आए सैकड़ों प्रतिभागियों का स्‍वागत करते हुए उच्‍चायुक्‍त नलिन सूरी ने कहा कि वे ब्रिटेन को केंद्र में रखकर यूरोप में हिंदी के प्रचार प्रसार को एक नई दिशा देना चाहते हैं, उन्होंने युवाओं से कहा कि वे विभिन्‍न सत्रों में खुले मन से हिस्‍सा लेते हुए सार्थक सुझाव दें। हजारों वर्ष से अटूट रूप में मौजूद भारतीय संस्‍कृति से जोड़ने वाली और 42 करोड़ भारतीयों की मातृभाषा हिंदी को किसी भी स्‍थिति में नज़र-अंदाज़ नहीं किया जा सकता। हिंदी शिक्षण में सूचना प्रोद्योगिकी के प्रयोग पर बल देते हुए उन्‍होंने यह संदेश भी दिया कि हमारी जिम्‍मेदारी अगली पीढ़ी तक अपने संस्‍कारों के संचार की भी है इसलिए भी हमें अपनी मातृभाषा एवं संस्‍कृति के प्रति सजग रहना होगा।

सम्‍मेलन के प्रारंभ में 'हिंदी की दशा और दिशा' पर दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के श्रीकृष्‍ण दत्‍त पालीवाल ने कहा कि भाषा एक सांस्‍कृतिक पाठ है और हिंदी सत्‍ता की नहीं, जन आंदोलन की भाषा है। निरंकारी संतगुरू त्रिलोचनदास ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए वहां उपस्‍थित प्रतिभागियों का आह्वान किया। भारतीय उच्‍चायोग में मंत्री (समन्‍वय) आसिफ इब्राहीम ने युवाओं को हिंदी से जोड़ने के लिए युवाओं की रुचि और परिवेश को ध्‍यान में रखने का आह्वान किया कि युवाओं को आकर्षित करने वाली शायरी, फिल्‍म और संगीत आदि का प्रयोग करना भी भाषा को सिखाने का प्रभावी माध्‍यम हो सकता है। सम्‍मेलन में ब्रिटेन से जनार्दन अग्रवाल, कादंबरी मेहरा, ऐश्‍वर्ज कुमार, जय वर्मा, महेंद्र वर्मा, फ्रेंचिस्‍का ओरसिनी, उषा राजे सक्‍सेना, वेद मित्र मोहला, डॉ कविता वाचकनवी, चित्रा कुमार, वंदना मुकेश शर्मा, शिखा वार्ष्‍णेय ने अलग अलग विषयों पर अपने शोध-पत्र पढ़े।

नीदरलैंड से प्रोफेसर मोहन कांत गौतम, रूस से बोरिस जखारिन और लुडमिला खोखलोवा, डेनमार्क से अर्चना पेन्‍यूली, इज़राइल से गेन्‍नादी श्लोंपेर ने और भारत से परमानंद पांचाल, गगन शर्मा, राकेश दुबे, डॉ ज्ञान सिंह मान, राकेश पांडेय, वर्तिका नंदा ने अपने-अपने शोध-पत्र पढ़े। इसके अलावा भारत से ही महेश भारद्वाज, ओंकारेश्‍वर पांडेय, रूही सिंह ने पैनल में हिस्‍सा लिया। स्‍थानीय युवा-वर्ग से गुरप्रीत भाटिया, प्रताप हिरानी, नितेश शर्मा, निवेदिता, मुहम्‍मद और रवि ने सक्रिय और सकारात्‍मक भागीदारी की।

सम्‍मेलन के दौरान डॉ अखिलेश गुमाश्‍ता ने रामायण के आख्‍यान पर अंग्रेजी में लिखी गई हिम्‍स ऑव हिमालयास का, सामयिक प्रकाशन की पत्रिका 'समीक्षा' का, प्रवासी संसार पत्रिका के 'प्रवासी कहानी विशेषांक' का, वर्तिका नंदा के काव्‍य संकलन 'मरजानी' का और अरूणा सभरवाल के काव्‍य संकलन 'बांटेंगे चंद्रमा' का लोकार्पण भी किया। केशरी नाथ त्रिपाठी की अध्‍यक्षता में आयोजित कवि सम्‍मेलन में भारत से डॉ फरीदा सहित कई प्रतिष्‍ठित स्‍थानीय कवि-कवियित्रियों ने हिस्‍सा लिया। सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का प्रारंभ नेहरू सेंटर लंदन में द्वितीय सचिव गौरी शंकर ने किया। भारत से विजया भारती और बर्मिंघम के आर्य समाज और अन्‍य स्‍थानीय संस्‍थाओं के कलाकारों ने सुंदर नृत्‍य प्रस्‍तुति दी।

विदेश मंत्रालय में उप सचिव (हिंदी) राकेश शर्मा ने भारत सरकार के हिंदी के प्रचार प्रसार के संबंध में चलाई जा रही विभिन्‍न योजनाओं, प्रोत्‍साहनों, सुविधाओं पर विस्‍तार से प्रकाश डाला। भारतीय उच्‍चायोग में हिंदी और संस्‍कृति अताशे आनंद कुमार ने सम्‍मेलन के नोडल अधिकारी के रूप में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। समापन समारोह के दौरान वक्‍ताओं, हिंदी सेवियों, स्‍वयंसेवकों, स्‍थानीय हिंदी शिक्षकों को सम्‍मान स्‍वरूप प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम के अंत में ब्रिटेन की दिव्‍या शर्मा ने कालबेलिया नृत्‍य प्रस्‍तुत किया। कथा यूके के महासचिव एवं कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने इस सम्मेलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटेन में हिंदी के प्रचार-प्रसार में तेजेंद्र शर्मा का प्रमुख नाम है। धन्‍यवाद ज्ञापन, गीतांजलि बहुभाषी साहित्‍यिक समुदाय के अध्‍यक्ष और सम्‍मेलन के उपाध्‍यक्ष डॉ कृष्‍ण कुमार ने किया।

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