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पुष्पवंती पर कोर्ट का निर्देश वापस

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नई दिल्ली। उच्‍चतम न्‍यायालय ने सेना के एक मेजर की विधवा पुष्‍पवंती मामले में पिछले वर्ष दिये गये अपने आदेश को वापस ले लिया है। पुष्‍पवंती ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 1967 में उनके पति‍ के निधन के बाद से उन्‍हें प्रति महीने मात्र 80 रूपये की पेंशन मिल रही है और उसमें कोई संशोधन नहीं किया जा रहा है। उच्‍चतम न्‍यायालय ने विधवाओं और उनके परिवार के सदस्‍यों की सेवा दशाओं जैसे- वेतनमानों और पेंशनों में अंतर को भी दूर नहीं किया है और नाही सशस्‍त्र सेनाओं के भूतपूर्व सदस्‍यों और उनके आश्रितों की आपत्तियों को दूर करने के लिए कोई आयोग कायम किया है।

भूतपूर्व सैनिकों के कल्‍याण बोर्ड ने पुष्‍पवंती की वास्‍तविक पेंशन राशि और ऐसे आयोग स्‍थापित करने संबंधी तथ्‍यों पर भी विचार किया। तथ्‍यों की जांच-पड़ताल से पाया गया कि पुष्‍पवंती वास्‍तव में 16360 रूपये पेंशन प्राप्‍त कर रही हैं न कि केवल 80 रुपए, जैसा कि उन्‍होंने उच्‍चतम न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत किया है। भारत के सालिसीटर जनरल के माध्‍यम से भूतपूर्व सैनिकों के कल्‍याण बोर्ड विभाग के समक्ष वास्‍तविक तथ्‍यों को प्रस्‍तुत किया गया था जिन्‍होंने भूतपूर्व सैनिकों के कल्‍याण एवं पुनर्वास मामलों पर व्‍यापक रूप से छानबीन की थी। इस समग्र परिप्रेक्ष्‍य में उच्‍चतम न्‍यायालय ने 15 नवंबर 2010 को दिए गए अपने फैसले को वापस ले लिया।

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