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नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत-अमरीकी सामरिक और आर्थिक भागीदारी को भारत काफी अधिक महत्व देता है। अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के नेतृत्व में एक अमरीकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाक़ात के अवसर पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों सहित कर क्षेत्र में प्रमुख बदलाव कर भारत अपने सुधारवादी एजेंडा को आगे बढ़ा रहा है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि प्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में एक अप्रैल 2012 से प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) को प्रभावी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों के बीच वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) को जल्द से जल्द प्रभावी करने के लिए सर्वसम्मति बनाने का प्रयास भी जारी है। ढांचागत ऋण के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाने की संभावना है, जिससे भारत में अमरीकी कंपनियों के निवेश में शीघ्रता लाने में मदद मिलेगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अपने संबोधन में आशा व्यक्त की कि कारोबार, ढांचागत निवेश, व्यापार, रक्षा और अन्य सामरिक मामलों में भारत और अमरीका के संबंधों में और अधिक मज़बूती आएगी। उन्होंने कहा कि एक साथ काम करने में भारत और अमरीका के बीच काफी बढ़िया रिश्ते हैं खासतौर पर आर्थिक और वित्तीय भागीदारी के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में उपलब्ध विशाल क्षमता को अनुकूल बनाने में भारत एक प्रमुख भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने विशेषतौर पर कहा कि भारत अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में मुख्य भूमिका निभा सकता है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत पहले ही अफगानिस्तान के आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ है और अन्य कार्यों सहित वहां सड़क निर्माण और बिजली उत्पादन में अफगानिस्तान की मदद कर रहा है।