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नई दिल्ली। बाईस जुलाई 2011 के द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपे एस गुरूमूर्ति के लेख 'आर दे जस्ट यूजफुल इडियट्स?' में उल्लेखित तथ्यों का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मीडिया सलाहकार हरीश खरे के माध्यम से दृढ़तापूर्वक खंडन किया है। लेख में एस गुरूमूर्ति ने 'धर्मनिरपेक्षों और उदारवादियों' की उस सूची में मनमोहन सिंह का नाम शामिल किया है, जिन्होंने कश्मीरी अलगाववादियों के बड़े हिमायती गुलाम नबी फाई का आमंत्रण और आतिथ्य स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से कहा है कि 'एस गुरूमूर्ति का कथन पूर्ण रूप से असत्य है, मैं पूर्ण रूप से इस आरोप से इंकार करता हूं मैं श्री फाई को नहीं जानता, मैं उनसे न तो कभी मिला हूं और न ही किसी संगोष्ठी या समारोह के लिए मैने उनका आतिथ्य स्वीकार किया है, इस समाचार पत्र को एक कानूनी नोटिस भी भेजा जा रहा है।' यह मामला काफी तूल पकड़ रहा है। समाचार पत्र ने भी इस खंडन को गंभीरता से नहीं लिया है और ऐसा लगता है कि वह अपने कथन पर कायम है।