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कोच्चि। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि यदि मनी लॉड्रिंग को नहीं रोका गया तो यह किसी भी वित्तीय प्रणाली के अस्तित्व को नष्ट कर देगा, इसलिए सभी राष्ट्रों को मनी लॉड्रिंग और आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने के विरुद्ध अपनी क्षमता मजबूत करनी चाहिए। भारत सरकार के सचिव के जोस साइरियाक और आस्ट्रेलियाई फेडरल पुलिस कमिश्नर टोनी नेगस एशिया-प्रशांत समूह की बैठकों के दो सह-अध्यक्षों की मौजूदगी में भूटान 41वें सदस्य और संयुक्त राष्ट्र संघ प्रेक्षक के रूप में कोच्चि में 18 से 22 जुलाई 2011 तक एशिया/प्रशांत समूह की 41वीं बैठक हुई जिसमें मनी लॉड्रिंग और वार्षिक तकनीकी सहायता फोरम पर चर्चा की गई। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले मंगलवार को यह प्रारंभिक भाषण दिया जिसमें 41 सदस्य क्षेत्राधिकारों और 27 प्रेक्षक क्षेत्राधिकारों एवं संगठनों से 320 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
चौदहवीं वार्षिक बैठक में एशिया-प्रशांत समूह के सदस्यों ने शाही भूटान को 41वें सदस्य के रूप में और संयुक्त राष्ट्र को प्रेक्षक के रूप में शामिल किया। प्रतिनिधियों ने अफगानिस्तान, लाओ पीडीआर, मार्शल आईलैंड, मालदीव, नेपाल और पपुआ, न्यू गीनी की 6 मूल्यांकन रिपोर्टों को शामिल किया और 30 सदस्यों की आपसी मूल्यांकन प्रगति की जांच की। प्रतिनिधियों ने वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) अंतर्राष्ट्रीय एएमएल/सेफ्टी मानकों के अतिरिक्त चुनौतियों, भ्रष्टाचार और गलत तरीके से धन जमा करने और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद के मुकाबले संबंधी विषयों पर विचार किया।
कोच्चि (केरल) में समापन समारोह में एशिया-प्रशांत ग्रुप के सह-अध्यक्ष के जोस साइरियाक ने कहा कि चौदहवीं वार्षिक बैठक की मेजबानी करते हुए भारत को प्रसन्नता हो रही है। इसकी बैठकों में 320 से अधिक कानूनी, संस्थागत और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि वार्षिक बैठक में 41 सदस्यों और 27 प्रेक्षकों को इन विषयों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान किया गया जिन्होंने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संबंधों को और अधिक मजबूत किया और अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों पर विचार-विमर्श किया। विचार विमर्श में आपसी वैधानिक सहायता में सुधार लाने और अवैध धन राशियों के बारे में वित्तीय खुफिया सूचनाओं की जानकारी का आदान-प्रदान करने आदि की प्रक्रिया शामिल हैं। के जोस साइरियाक ने बताया कि बैठक में विचार-विमर्श बहुत लाभदायक रहे और सभी सदस्यों और प्रेक्षकों ने आतंकवादी गतिविधियों में धन लगाने की कार्रवाईयां रोकने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई।
वर्ष 2011 में एशिया-प्रशांत ग्रुप के सह-अध्यक्ष कमिश्नर नेगुस ने भारत को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि एशिया-प्रशांत ग्रुप की बैठक हमेशा की तरह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दृष्टि से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब एशिया-प्रशांत समूह की वार्षिक बैठक दक्षिण एशिया में हुई, जबकि इसका गठन 1997 में बैंकॉक में हुआ था। इससे पहले एशिया प्रशांत ग्रुप की वार्षिक कार्यशाला 2010 में बैंकॉक में आयोजित की गई थी। उन्होंने बताया कि आतंकवाद को धन मुहैया कराने और उसका दुरुपयोग करने से रोकने के मामले में दक्षिण एशिया हमारा बहुत महत्वपूर्ण साझीदार है।