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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने एक कार्यक्रम में वर्ष 2009 और 2010 के लिए राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार प्रदान किए। वर्ष 2009 के लिए व्यक्तिगत संवर्ग में यह पुरस्कार डॉ मोहम्मद हनीफ खान शास्त्री को प्रदान किया गया। डॉ शास्त्री संस्कृत के विद्वान हैं। उन्होंने गीता और कुरान में सामंजस्य, वेद और कुरान से महामंत्र और गायत्री एवं सुरा फातिहा समेत कई पुस्तकें लिखी हैं। डॉ शास्त्री ने अपनी किताबों और विचारों से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम किया है।
वर्ष 2010 के लिए व्यक्तिगत संवर्ग में आचार्य लोकेश मुनि को इस पुरस्कार से नवाजा गया। आचार्य लोकेश मुनि एक सामाजिक कार्यकर्ता और अच्छे वक्ता हैं जिन्होंने अपने विचारों और लेखों के जरिए समाज में सांप्रदायिक सद्भाव के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। मुनि दिल्ली में एक स्वयंसेवी संस्था अहिंसा विश्व भारती के मुख्य कार्यकर्ता हैं जिसका उद्देश्य अहिंसा, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना है।
वर्ष 2009 के संस्थागत संवर्ग में सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल वेलफेयर को इस पुरस्कार से नवाजा गया। संगठन की तरफ से महासचिव सरोज खान ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। सन् 1976 में पंजीकृत यह संस्था सांप्रदायिक सद्भाव, मानवाधिकार और जरूरतमंदों एवं वंचितों के पुनर्वास का काम करती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की स्थिति में सरकार के पास हस्तक्षेप करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के हस्तक्षेप या तो हालात रोकने वाले होते हैं या फिर सुधार वाले होते हैं। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव को बनाये रखने के लिए चेतना युक्त कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए और आज का यह कार्यक्रम इस दिशा में सरकार की एक अच्छी कोशिश है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदंबरम और गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह सहित अनेक विद्वान मौजूद थे।