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नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बीड़ी पीने के विरूद्ध एक जन संचार अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हृदय संबंधी बीमारियों के बीड़ी से संबंधों को उजागर करते हुए यह विश्व के किसी भी हिस्से में सरकार समर्थित पहला जन अभियान है। इस अभियान को फेफड़ों की बीमारी से जुड़े वर्ल्ड लंग फाउंडेशन की तकनीकी मदद से तैयार किया गया है। अभियान का मुख्य संदेश है धूम्रपान छोड़ना मुश्किल है लेकिन इसे ना छोड़ने के दुष्परिणाम अधिक घातक हैं। इस राष्ट्रव्यापी अभियान को जन घोषणाओं के तौर पर सभी प्रमुख टेलीविजन और रेडियो और एफएम पर अगस्त के माह में प्रसारित किया जायेगा।
भारत में बीड़ी दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाला तंबाकू उत्पाद है। तंबाकू के खिलाफ किये गये वैश्विक संरक्षण के अनुसार पुरुषों में सिगरेट पीने वाले 10.3 प्रतिशत लोगों की अपेक्षा बीड़ी पीने वाले 16 प्रतिशत लोग हैं जबकि 0.8 प्रतिशत सिगरेट पीने वाली महिलाओं की अपेक्षा 1.9 प्रतिशत महिलायें बीड़ी पीती हैं। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में 21.9 प्रतिशत, त्रिपुरा में 21.5 प्रतिशत, उत्तराखंड में 19.2 प्रतिशत, मेघालय में 18.7 प्रतिशत, राजस्थान में 16 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 15.7 प्रतिशत और गोवा में 1.5 प्रतिशत लोग बीड़ी पीते हैं।
बीड़ी पीने से भी सिगरेट की तरह ही स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़े की सूजन, क्षय रोग और श्वांस की अन्य बीमारियां होती हैं। दुनिया में यह मृत्यु और बीमारी की एक बड़ी वजह है। दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 60 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारी के कारण होती है और अगर इस पर तत्काल काबू न पाया गया तो वर्ष 2030 तक 80 लाख से अधिक तक हो सकती है।