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भूमि अधिग्रहण बिल पर लोग अपनी राय दें

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नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्‍थापना एवं पुनर्वास विधेयक 2011 का मसौदा सार्वजनिक कर दिया गया है ताकि इसके कानून बनने से पहले इस पर लोगों की राय ली जा सके। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने स्पष्ट किया है कि विधेयक का मसौदा निजी कंपनियों पर सीधे किसानों और अन्य लोगों से जमीन खरीदने पर रोक नहीं लगाता है। इसके दायरे से बाहर के सभी मामलों में विधेयक के मसौदे में यह प्रस्ताव किया गया है कि एक स्पष्ट पुनर्वास एवं पुन:स्थापन पैकेज़ दिया जाएगा। विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि किसी भी हालत में विविध फसलों वाली सिंचित भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। संसद में प्रस्तुत किए जाने से पूर्व विधेयक इस मसौदे को परामर्शी प्रक्रिया के लिए सार्वजनिक करते हुए इकतीस अगस्त 2011 तक लोगों से इस पर टिप्पणी मांगी गई है।

ग्रामीण विकास मंत्री ने मसौदे की पृष्ठभूमि में कहा है कि प्रत्येक मामले में भूमि का अधिग्रहण इस तरह से किया जाए कि इससे भू-स्वामियों के हितों की पूरी तरह सुरक्षा हो और साथ ही उनके भी हित सुरक्षित रहें, जिनकी आजीविका अधिगृहीत की जाने वाली भूमि से जुड़ी हुई है। संविधान में भूमि राज्य का विषय है किंतु भूमि अधिग्रहण एक समवर्ती विषय है। अभी तक भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को संचालित करने वाला मूल कानून भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 रहा है, हालांकि इसमें समय-समय पर संशोधन किए गए, फिर भी यह स्पष्ट है कि मूल नियम अब काफी पुराने हो गए हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि भारत में भूमि का बाजार अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं है, यहां भूमि को अर्जित करने वाले और जिनकी भूमि अर्जित की जा रही है, दोनों के बीच शक्तियों में विषमता है, इसी वजह से सरकार को पारदर्शी एवं लचीला नियम एवं विनियम बनाने और इसका प्रवर्तन सुनिश्चित करने की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि विधेयक के इस मसौदे में आधारभूत सुविधा विकास, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण सहित विभिन्न सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए भूमि अधिग्रहण को आसान बनाने का प्रयास किया गया है, जबकि इसके साथ ही किसानों और ऐसे लोगों, जिनकी आजीविका अधिगृहीत की जाने वाली भूमि से जुड़ी है, की चिंताओं का सार्थक रूप से समाधान किया गया है।

भूमि का अधिग्रहण कौन करता है, यह मामला भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, अधिगृहीत भूमि के लिए मुआवजा और पुनर्वास एवं पुन:स्थापन प्रक्रिया, पैकेज एवं शर्तों से कम महत्वपूर्ण है। विधेयक के इस मसौदे में निजी एवं सरकारी अधिग्रहण के अनुपातों पर बिल्कुल भी ध्यान दिए बगैर इनका उल्लेख किया गया है। इसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और प्रत्येक मामले में दोनों पक्षों के लिए इसे तटस्थ बनाना है। विधेयक के इस मसौदे में अनुपातों पर ध्यान दिए बिना सभी मामलों (0-100%, 50-50%, 70-30%, 90-10%, 100-0% और इनके बीच के सभी संभावित संयोजन) को शामिल किया गया है और इससे पुनर्वास एवं पुन:स्थापन में समानता सुनिश्चित होती है और इसके साथ ही इसमें इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है कि उनकी जमीन कौन अर्जित कर रहा है- सरकार या निजी पार्टी।

भूमि अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार के 18 अन्य कानून हैं (जैसे- राजमार्ग, सेज, डिफेंस, रेलवे आदि के लिए)। देश में प्रचलित ऐसे अन्य विशिष्ट कानूनों पर बिल मसौदे को तरजीह दी जाएगी। मसौदा बिल के प्रावधान इन कानूनों में उपलब्ध कराए गए मौजूदा सुरक्षा उपायों के अतिरिक्त होंगे और इनसे इन सुरक्षा उपायों में कोई कमी नहीं आएगी। मसौदा बिल में पेसा 1996, वन अधिकार अधिनियम 2006 और अनुसूचीV (अर्थात जनजातीय) के क्षेत्रों में भूमि अंतरण विनियमन के प्रावधानों का पूरी तरह से अनुपालन किया गया है। मसौदा विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया landacquisition.comments@gmail.com पर या ग्रामीण विकास मंत्रालय, कमरा नंबर-48, कृषि भवन, नई दिल्‍ली पर भेजी जा सकती है। विधेयक का मसौदा हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में और इन वेबसाइटों पर उपलब्‍ध है। www.rural.nic.in, www.pib.nic.in, www.pib.gov.in

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