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विधिक सुधार मिशन से त्वरित न्याय की आस

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नई दिल्ली। वि‍धि और न्‍याय मंत्री सलमान खुर्शीद ने राज्‍य सभा में जानकारी दी है कि 30 जून 2011 तक भारत के उच्‍चतम न्‍यायालय में 57, 179 मामले लंबि‍त थे। उच्‍च न्‍यायालयों में 30 सि‍तम्‍बर 2010 तक लंबि‍त मामलों की संख्‍या 42,17,903 है। नवीनतम उपलब्‍ध जानकारी के अनुसार सभी न्‍यायालयों में मामलों के शीघ्र नि‍पटारे को सुगम बनाने के लि‍ए सरकार ने अनेक उपाय कि‍ए हैं जिनमें सरकार ने राष्‍ट्रीय न्‍याय परि‍दान और वि‍धि‍क सुधार मि‍शन की स्‍थापना का अनुमोदन कर दि‍या है।

सलमान खुर्शीद ने बताया कि इसके मुख्‍य उद्देश्‍य हैं- न्याय प्रणाली में वि‍लंबों और बकाया मामलों में कमी करके पहुंच में वृद्धि‍ करना। संरचनात्‍मक परि‍वर्तनों के माध्‍यम से और नि‍ष्‍पादन मानकों और क्षमताओं को नि‍यत करके जवाबदेही में अभि‍वृद्धि‍ करना। अधीनस्‍थ न्‍यायपालि‍का के अवसंरचनात्‍मक वि‍कास के प्रति‍मि‍शन पद्धति का दृष्‍टि‍कोण राष्‍ट्रीय न्‍याय परि‍दान मि‍शन के अधीन मुख्‍य पहलों में है, जि‍सको सरकार ने अनुमोदि‍त कर दि‍या है। अधीनस्‍थ न्‍यायालयों में अवसंरचना की अपर्याप्‍तता, न्‍याय के शीघ्र परि‍दान में एक अड़चन रही है। उसको ध्‍यान में रखते हुए वि‍त्‍तीय वर्ष 2011-12 में अवसंरचनात्‍मक वि‍कास के लि‍ए केंद्रीय रूप से प्रायोजि‍त स्‍कीम के लि‍ए आवंटन में 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक पांच गुणा वृद्धि ‍की गई है। राज्‍यों के लि‍ए वि‍त्त पोषण पैटर्न में भी 50:50 से 75:25 तक की वृद्धि ‍की गई है और उसे पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लि‍ए 90:10 जारी रखा गया है।

उन्होंने बताया कि सरकार ने पांच वर्ष की अवधि ‍2010-2015 के दौरान देश में न्‍याय प्रदान प्रणाली में सुधार करने के लि‍ए राज्‍यों को 5,000 करोड़ रुपये का अनुदान उपलब्‍ध कराने हेतु 13वें वि‍त्‍त आयोग की सि‍फारि‍शों को स्‍वीकार कर लि‍या है। वर्ष 2010-11 के दौरान राज्‍यों को पहले ही 1000 करोड़ रुपये का अनुदान जारी कि‍या गया है। अन्‍य बातों के साथ-साथ, राज्‍य इन अनुदानों की सहायता से, लंबि‍त मामलों को कम करने के लि‍ए प्रात:कालीन/सायं:कालीन/पाली/वि‍शेष मजि‍स्‍ट्रेट न्‍यायालय स्‍थापि‍त कर सकते हैं, न्‍यायालय प्रबंधों की नि‍युक्‍ति‍, एडीआर केंद्रों की स्‍थापना कर सकते हैं और मध्‍यस्‍थों/परामर्शकों को प्रशि‍क्षण दे सकते हैं, अधि‍क लोक अदालतें आयोजि‍त कर सकते हैं। न्‍यायि‍क अधि‍कारि‍यों के प्रशि‍क्षण के लि‍ए, राज्‍य न्‍यायि‍क अकादमि‍यों को सशक्‍त करने के लि‍ए लोक अभि‍योजकों के प्रशि‍क्षण और हेरि‍टेज न्‍यायालय भवनों के रख रखाव के लि‍ए भी अनुदान प्रदान कि‍ए जाते हैं।

न्‍याय परि‍दान प्रणाली को कंप्‍यूटरीकृत करने के लि‍ए, सरकार 935 करोड़ रुपये की अनुमानि‍त लागत पर देश में जि‍ला और अधीनस्‍थ न्‍यायालयों के लि‍ए ई-न्‍यायालय परि‍योजना और उच्‍चतर न्‍यायालयों और आईसीई अवसंरचना के उन्‍नयन को कार्यान्‍वि‍त कर रही है। इकतीस मार्च 2012 तक 12,000 न्‍यायालयों और 31 मार्च 2014 तक 14,249 न्‍यायालयों को कंप्‍यूटरीकृत करने का लक्ष्‍य है। तेरहवें वि‍त्त आयोग ने 5,000 करोड़ रुपये के अनुदान की सि‍फारि‍श करते समय राज्‍य मुकदमा नीति ‍तैयार करने के पश्‍चात ही दूसरे वर्ष की कि‍स्‍त जारी कि‍ए जाने के लि‍ए शर्त बनाई है। राज्‍य मुकदमा नीति ‍तैयार की जानी है, जि‍सका उद्देश्‍य सरकार को दक्ष और जि‍म्‍मेदार मुकदमेबाज में बदलना है। यदि ‍ऐसे मामलों, जि‍नमें सरकार अंतर्वलि‍त है, कम हो जाते हैं तो न्‍यायालयों के पास लंबि‍त मामलों की संख्‍या को कम करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लि‍ए मामलों की बड़ी संख्‍या का नि‍पटान करने के लि‍ए समय होगा।

ग्राम न्‍यायालय अधि‍नि‍यम 2008 का अधि‍नि‍यमन, जो नि‍र्धन व्‍यक्‍ति‍यों के लि‍ए न्‍याय तक पहुंच में सुधार करने के लि‍ए ग्राम न्‍यायालयों की स्‍थापना करने का उपबंध करता है। चालू वर्ष में आवंटन को 40 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 150 करोड़ रुपये कर दि‍या गया है। राज्‍यों में अभी तक 151 ग्राम न्‍यायालय अधि‍सूचि‍त कि‍ए गए हैं।

वि‍धि और न्‍याय मंत्री ने उच्‍च न्‍यायालयों के सभी न्‍यायमूर्ति‍यों से अनुरोध कि‍या है कि ‍वे जुलाई-दि‍संबर 2011 तक न्‍यायालय में मामलों की लंबि‍त संख्‍या को कम करने के लि‍ए और इसी अवधि‍ के दौरान उच्‍च न्‍यायालयों और अधीनस्‍थ न्‍यायालयों में न्‍यायाधीशों की रि‍क्‍ति‍यों को भरने के लि‍ए भी अभि‍यान आरंभ करें। रि‍क्‍ति‍यां और वि‍लंब अनि‍वार्य रूप से सहबद्ध हैं इसलि‍ए रि‍क्‍ति‍यों को भरने के लि‍ए अभि‍यान पद्धति दृष्‍टि‍कोण आरंभ कि‍या जाना आवश्‍यक है। कम-से-कम 50 प्रति‍शत रि‍क्‍ति‍यां दि‍सम्‍बर 2011 तक अधीनस्‍थ न्‍यायालयों की बाबत भरी जा सकती हैं।

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