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ओलिव रिडले कछुओं का संरक्षण

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नई दिल्ली। पर्यावरण एवं वन राज्‍य मंत्री जयंती नटराजन ने बताया कि उड़ीसा सरकार, उड़ीसा तट के समीप सुरक्षा गतिविधियां कर रही है। उड़ीसा राज्‍य सरकार की सूचना पर नटराजन ने बताया कि उड़ीसा तट और तटीय जल क्षेत्र पर कानूनों के उल्‍लंघन के कुछ कारण हैं। अस्‍तरोंग का तटीय जल क्षेत्र समुद्री अभयारण्‍य नहीं है। इस क्षेत्र में राज्‍य मात्सियकी अधिनियम जैसे उड़ीसा समुद्री मत्‍स्‍यन विनियमन अधिनियम 1982 और उड़ीसा समुद्री मत्‍स्‍यन विनियमन नियम 1983 के अंतर्गत तटीय रेखा से 10 किलोमीटर की दूरी के अंदर, केवल नवंबर से अगले वर्ष के मई माह तक, कुछ समय के लिए भीशीनी तरीके से मत्‍स्‍यन को प्रतिबंधित किया जाता है।
नटराजन ने बताया कि गहीरमाथा को समुद्री अभयारण्‍य के रूप में नामोदिष्‍ट किया गया है और गश्‍ती कार्यों और अन्‍य सुरक्षा उपायों के लिए कदम उठाए गए हैं। औरपि, यह क्षेत्र विशाल है (1408 वर्ग किलोमीटर से अधिक) और यहां मछली पकड़ने का अत्‍यधिक दबाव है जिसमें स्‍थानीय जहाजों के साथ-साथ, पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, बांग्‍लादेश और थाईलैंड आदि भी शामिल हैं, यहां अक्‍सर कानून का उल्‍लंघन होता है किंतु जहां तक सभंव हो, उपलब्‍ध जनशक्ति और संसाधनों से इन्‍हें निपटाया जा रहा है। उड़ीसा सरकार द्वारा ओलिव रिडले कछुओं की ऋतु के दौरान, उड़ीसा तट पर अवैध रूप से मछली पकड़ने पर कड़ी नजर रखने और गहन निगरानी के लिए कदम उठाए गए हैं

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