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सरकारी वेबसाइटों के पीछे पड़े हैकर

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नई दिल्ली। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री सचिन पायलट ने लोकसभा में बताया कि जनवरी-जून 2011 की अवधि के दौरान कुल 117 सरकारी वेबसाइटें विकृत की गई थीं। प्रभावित संगठनों एवं विभागों से हमले की प्रकृति और किस्‍म और हैकर के इस्‍तेमाल में लाई गई कमजोरियों का विश्‍लेषण करने और पता लगाने के लिए हैक की गई वेबसाइटों के वेब सर्वर लॉंग उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया गया है। विश्लेषण के आधार पर संगठनों को वेबसाइटों की सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए विशिष्‍ट कदम उठाने की सलाह दी गई। प्रति उपायों सहित विश्लेषात्‍मक रिपोर्ट भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) द्वारा प्रभावित संगठनों को इस्‍तेमाल की गई कमजोरियों को दूर करने के लिए उपलब्‍ध कराई गई। राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी की वेबसाइट हैक नहीं की गई थी और इसलिए इस संबंध में कोई जांच नहीं की गई है।

सरकार ने इस संबंध में जो विशिष्‍ट कदम उठाए हैं वे इस प्रकार है- सभी नई सरकारी वेबसाइटों और अनुप्रयोगों को उपलब्‍ध कराने से पहले साइबर सुरक्षा की दृष्‍टि से उनका परीक्षण किया जाएगा। उपलब्‍ध कराए जाने के बाद भी वेबसाइटों और अनुप्रयोगों का परीक्षण नियमित आधार पर किया जाएगा। राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने ऐसी वेबसाइटें उपलब्‍ध नहीं कराने का निर्देश दिया है, जिनका साइबर सुरक्षा की दृष्‍टि से परीक्षण नहीं किया जाता है। राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र जो सरकारी वेबसाइटें उपलब्‍ध कराता है, सतत रूप से अपनी निर्माण संबंधी मूलसंरचना के सुरक्षा ढांचे का संवर्धन एवं सुधार कर रहा है। केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों के सभी मंत्रालय/विभाग साइबर हमलों और साइबर आतंकवाद का सामना करने के लिए आपदा प्रबंधन योजना को कार्यान्‍वित कर रहे हैं। भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) नवीनतम साइबर खतरों से संबंधित चेतावनियां और सलाह और प्रति उपाय नियमित आधार पर जारी करता है। विद्यमान सरकारी वेबसाइटों का सुरक्षा के परिप्रेक्ष्‍य में आवधिक रूप से परीक्षण किया जाता है और पाई गई कमजोरियों को दूर किया जाता है।

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