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समीक्षा बैठक में विशेष प्रतिकूल प्रविष्टियां

मुख्य सचिव ने की चार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई

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वीडियो कांफ्रेंसिंग-video conferencing

देहरादून। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने चार अधिकारियों के खिलाफ विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि और दो अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सिंचाई विभाग चमोली के अधिशासी अभियंता, ऊधमसिंह नगर और टिहरी के डीएफओ, उत्तरकाशी के लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश दिये है। उन्होंने डीएफओ नैनीताल और पौड़ी से स्पष्टीकरण मांगने के भी आदेश दिये। मुख्य सचिव ने यह कदम वन एवं ग्राम्य विकास शाखा के फ्लैगशिप कार्यक्रमों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सचिवालय में समीक्षा के दौरान उठाया।

मुख्य सचिव ने साफ तौर पर कहा कि अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएं, जनहित से जुड़े कार्यों में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नही की जाएगी। उन्होंने कहा कि कार्य में लापरवाही पाये जाने पर ही अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि और स्पष्टीकरण के आदेश दिये गये है, यदि कार्य में सुधार नही पाया गया, तो आगे और भी कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने अच्छे कार्य करने वाले जिलाधिकारियो की सराहना की। उन्होंने निर्देश दिया कि भारत सरकार से समय से स्पेशल प्लान असिस्टेंस के तहत धन का आवंटन हो जाए, इसके लिए वहां एडवांस में योजना तैयार कर भेजनी होगी। सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान उन्होंने प्रमुख सचिव सिंचाई को निर्देश दिये कि अवमुक्त धन के व्यय में और तेजी लायी जाए। प्रमुख सचिव स्वयं भी अपने स्तर से इसकी लगातार मॉनीटरिंग करते रहें।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों से फ्लैगशिप कार्यक्रमों की जानकारी लेते हुए उन्होंने कहा कि जो कार्य शेष हैं, उनके लिए भी टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए जिससे कि बजट मिलते ही कार्य शुरू किया जा सके। हिदायत भी दी कि कार्यो की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए, जिलाधिकारी खुद भी औचक निरीक्षण करें। उन्होंने संबंधित सचिवों से भी कहा कि बजट को अवमुक्त करने में किसी भी तरह की देरी न की जाए। मनरेगा के कार्यो की समीक्षा करते हुए उन्होंने धन कम व्यय करने पर असंतोष जाहिर किया। जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि इसका लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके, इस मकसद से कार्य में तेजी लाई जाए। वन विभाग की मनरेगा के कार्यो में रूचि न देख उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और जो डीएफओ समय से विस्तृत योजना, तकनीकी परीक्षण और अनुमानित व्यय की रिपोर्ट नहीं देते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश प्रमुख वन संरक्षक को दिये। उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों को भी अपने ही खेत में काम करने पर मनरेगा से धन दिया जा सकता है, इसमें जलागम योजनाओं का भी उपयोग हो सकता है।

इंदिरा आवास योजना के प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इस महीने के अंत तक सभी जनपद अपने लक्ष्य को पूरा कर लें। इसके लिए उन्होंने डेडलाइन तय करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जो धन उपलब्ध है, उसकी पहली किस्त हर हाल में सभी जनपद 15 अगस्त तक लाभार्थियों के खाते में जमा कर दें। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी जनपदों को पांच-पांच करोड़ रुपये की धनराशि तत्काल आंवटित कर दी जाए, जिस क्षतिपूर्ति की देयता पूरी हो गई है, उसे तत्काल उपलब्ध कराया जाए लेकिन तहसीलदार से जांच कराने के बाद ही प्रस्ताव शासन को भेजा जाए। बैठक में वन ग्राम्य विकास आयुक्त राजीव गुप्ता, सचिव ग्राम्य विकास ओम प्रकाश, प्रभारी सचिव मुख्यमंत्री डॉ अजय प्रद्योत, अपर सचिव ग्राम्य विकास रविनाथ रामन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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