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रीता बहुगुणा देंगी लखनऊ में जोरदार टक्‍कर

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रीता बहुगुणा जोशी-rita bahuguna joshi

लखनऊ। लखनऊ लोकसभा क्षेत्र की लड़ाई का दायरा बढ़ गया है। उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्‍यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के लखनऊ से कांग्रेस प्रत्‍याशी के रूप में उतरने से इस सीट पर चतुष्‍कोणीय मुकाबला हो गया है। यहां से सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा ने जो प्रत्‍याशी मैदान में उतारे हैं सभी ताकतवर माने जाते हैं इसलिए लखनऊ लोकसभा क्षेत्र जो कि पहले से ही विशिष्‍ट था अब और ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बन गया है।
भाजपा के लालजी टंडन यहां से सांसद रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उत्‍तराधिकारी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। वे लखनऊ से भाजपा के विधायक भी हैं और साथ ही भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में हैं। लखनऊ में लालजी टंडन को हर कोई जानता है इसलिए वे भाजपा के सशक्‍त प्रत्‍याशी हैं। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर फिल्‍म अभिनेता संजय दत्‍त को उतारा था लेकिन कानूनी अर्चनों के कारण उन्‍हें मैदान से हटना पड़ा। संजय दत्‍त ने अब समाजसेविका नफीसा अली को प्रत्‍याशी बनाया है। चूंकि संजय दत्‍त कह चुके हैं कि वे लखनऊ नहीं छोड़ेंगे और नफीसा अली का चुनाव उसी प्रकार लड़ाएंगे जैसे कि वे खुद लड़ते। समाजवादी पार्टी के लखनऊ में अच्‍छे खासे प्रभाव के कारण नफीसा अली भी एक मजबूत प्रत्‍याशी हैं।

बसपा के प्रत्‍याशी डा अखिलेश दास लखनऊ के मेयर होने के साथ-साथ राज्‍यसभा के सदस्‍य है और केन्‍द्रीय राज्‍यमंत्री भी रह चुके हैं। लखनऊ में शैक्षणिक प्रतिष्‍ठानों के मालिक भी हैं। राजनीतिक रूप से वे सबसे ज्‍यादा लखनऊ में ही सक्रिय हैं। बसपा में आ जाने के बाद वे लखनऊ से बसपा के प्रत्‍याशी हैं। जहां तक रीता बहुगुणा जोशी का प्रश्‍न है तो वह उत्‍तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्‍यमंत्री और अपने जमाने में एक सशक्‍त राजनेता कहलाएं गए हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री हैं। रीता उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्‍यक्ष के रूप में काफी समय से कांग्रेस में काम कर रही हैं। उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस को पहले से ज्‍यादा मजबूत बनाने का काम किया है।

कहते हैं कि रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस में कुंडली मारकर बैठे और कांग्रेस को अपने तरीके से चलाने वाले अखिलेश दास गुप्‍ता जैसे नेताओं को बाहर का रास्‍ता दिखलाया। इससे उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस में एक नयी जान आई। रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के भी अत्‍यंत करीब मानी जाती है। रीता बहुगुणा जोशी के पिता हेमवती नंदन बहुगुणा भी लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। उन्‍होंने लखनऊ से भारी मतों से जीत दर्ज की थी। माना जाता है कि रीता बहुगुणा जोशी को यहां पर ब्राहम्णों समेत सभी जातीय वर्गों का समर्थन मिलेगा। इसलिए रीता बहुगुणा जोशी भी लख्‍ानऊ से कांग्रेस की एक ताकतवर प्रत्‍याशी मानी जाती हैं।
रीता बहुगुणा जोशी के आने का अगर सबसे ज्‍यादा नुकसान हुआ है तो वह है बसपा के अखिलेश दास गुप्‍ता जो कि इस आशा से जीत के ख्‍वाब देख रहे थे कि चूंकि लखनऊ में कांग्रेस का कोई प्रत्‍याशी नहीं होगा या होगा भी तो दमदार नहीं होगा। रीता बहुगुणा जोशी के सामने आते ही अखिलेश दास के खेमे में भारी निराशा का वातावरण बना हुआ है। उनके ही समर्थक कह रहे हैं कि अब उनकी लखनऊ से जीतने की संभावना और ज्‍यादा क्षीण हो गई है। क्‍योंकि लखनऊ में कांग्रेस को अब एक सहारा मिल गया है और जो लोग कांग्रेस प्रत्‍याशी के अभाव में अखिलेश दास गुप्‍ता की ओर झुकने की सोच रहे थे अब वे डंके की चोट पर रीता बहुगुणा जोशी का चुनाव लड़ाएंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का रुख प्रत्‍याशियों की प्रतिष्‍ठा देखकर भी तय होगा। इसलिए यहां के चतुष्‍कोणीय मुकाबले में काफी दिलचस्‍प राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। यहां से अटल बिहारी वाजपेयी के सांसद होने के नाते भाजपा के प्रत्‍याशी लाल जी टंडन को ये आशा है कि इस झगड़े में वे सीट निकाल ले जाएंगे क्‍योंकि वैसे भी लोग अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भाजपा को मतदान करेंगे।

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