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नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापनों की उपभोक्ताओं से मिल रही बड़ी संख्या में शिकायतों के मद्देनजर उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय गंभीर और सक्रिय हुआ है और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए एक बैठक आयोजित की गई। खाद्य मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने बैठक की अध्यक्षता की और विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकारों, विज्ञापन जगत, शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारियों और मीडिया एवं गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया।
इस बैठक में भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए विभिन्न अधिनियमों के प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया गया और यह अनुभव किया गया कि विज्ञापन के आधुनिक रवैये के मद्देनजर उन्हें और कारगर बनाने की नितांत आवश्यकता है। यह सुझाव दिया गया कि इन अधिनियमों के प्रावधानों के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर जन-जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए। भागीदारों ने सुझाव दिया कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भी शिकायतों को उपभोक्ता अदालतों में ले जाना चाहिए। यह भी सुझाया आया कि उपभोक्ताओं के हित में भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ अपनी तरफ से कार्रवाई करने के लिए एक स्वतंत्र संघीय निकाय के गठन की संभावना पर विचार किया जाना चाहिए। बैठक में फैसला किया गया कि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे से निपटने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार करने के लिए एक अंतरमंत्री स्तरीय समिति के गठन का प्रस्ताव रखेगा।