स्वतंत्र आवाज़
word map

बुरे शासन का उपचार अच्‍छा शासन ही है-उपराष्‍ट्रपति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

पुस्तक विमोचन-book release

नई दिल्ली। भारत के उपराष्‍ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि भ्रष्‍टाचार, जिसे किसी भी रूप में परिभाषित किया जाए, निश्‍चित रूप से शासन का एक मामला है, इतिहास में प्रत्‍येक समाज ने अच्‍छे और बुरे शासक के बीच, खुश और नाराज लोगों के बीच भेद करने के लिए शासन के तौर-तरीके घोषित किए हैं। एक समारोह में ओपी जिंदल ग्‍लोबल विश्‍वविद्यालय के कुलपति सी राजकुमार की पुस्‍तक भारत में भ्रष्‍टाचार मानवाधिकार–पारदर्शिता और अच्‍छे शासन पर तुलनात्‍मक दृष्‍टिकोण का विमोचन करने के बाद उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि बुरे शासन का एकमात्र सार्थक उपचार अच्‍छा और दायित्‍वपूर्ण शासन है।

हामिद अंसारी ने कहा कि समाधान ढूंढने में जल्‍दबाजी अथवा स्‍थापित राजनीतिक प्रक्रियाओं के साथ असंतुष्‍टि या मौजूदा व्‍यवस्‍था के साथ पूर्णतया निराशा हमें अर्द्ध-कानूनी या कानूनेत्तर राय बनाने के लिए ना प्रेरित कर सकती है और न ही करनी चाहिए। किसी ऐसे समाधान के बारे में सोचना जो संवैधानिक प्रक्रिया को अनुचित ठहरा दे, अनगिनत हानि पहुंचा सकती है। इसी प्रकार यह हम सब की और विशेष रूप से जो सार्वजनिक जीवन में हैं, उनका दायित्‍व है कि वे कार्यकारिणी, विधायिका और न्‍यायपालिका के बीच सावधानी पूर्वक बनाए गए अंतर्निहित संतुलन का सम्‍मान करें। किसी एक को कम करके आंकना अथवा किसी अन्‍य को अधिक करके के आंकने से अराजकता पैदा हो सकती है।

इस पुस्‍तक में भ्रष्‍टाचार का विश्‍लेषण करने के प्रति एक नया दृष्‍टिकोण अपनाया गया है। इसमें भ्रष्‍टाचार को मानवाधिकारों के उल्‍लंघन के रूप में लिया गया है। मौजूदा संस्‍थानों, कानूनों और कानूनों को लागू करने वाली इकाइयों में आंतरिक कमियों पर प्रकाश डालते हुए पुस्‍तक में भ्रष्‍टाचार को समाप्‍त करने के लिए बहुमुखी रणनीति अपनाने का जोरदार समर्थन किया गया है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]