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उत्तराखंड हरित पर्यावरण की प्रथम पाठशाला

'ग्रीन इंडिया-क्लीन इंडिया' में निशंक ने कहा

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ग्रीन इंडिया-green india

नई दिल्ली। 'न्यू इंडियन एक्सप्रेस एवं कोलंबिया यूनिवर्सिटी' के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी में आयोजित 'ग्रीन इंडिया-क्लीन इंडिया' कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान और बिगड़ता पर्यावरणीय संतुलन भविष्य में मानवता के अस्तित्व पर खतरा बन जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यदि हरित और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर निजी क्षेत्र कोई पहल करना चाहेगा तो उसे महत्व दिया जायेगा। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने उत्तराखंड में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की आवश्यकता को राष्ट्रीय जरूरत बताते हुए अपने उद्बोधनों में उत्तराखंड की ऊर्जा संभावनाओं की सराहना की।

रमेश पोखरियाल निशंक ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड सरकार के प्रयासों पर कहा कि वे उत्तराखंड को पालिथीन मुक्त एवं प्रदूषण मुक्त राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसके लिए पूरे प्रदेश में पालीथीन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य का 67 प्रतिशत वनाच्छादित होना, राज्य के हरित प्रदेश बनने की राह को प्रशस्त करने में एक महत्वपूर्ण बिंदु है। उन्होंने बताया कि राज्य को आयुष प्रदेश घोषित किया जा चुका है जिससे राज्य में जड़ी-बूटी की अपार संभावनाओं का विकास हो सके। निशंक ने कहा कि राज्य में 15 हजार किलोमीटर से भी लंबे क्षेत्र में नदियां प्रवाहमान हैं, जिनके संरक्षण एवं सवर्द्धन के लिए राज्य में स्पर्श गंगा अभियान प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रीन एंड क्लीन इंडिया का स्वप्न धरती की हरितता को वापस लाए बिना और जल संसाधनों का संरक्षण किए बिना संभव नहीं है।

अवसर का लाभ उठाते हुए निशंक ने बताया कि राज्य में 12 हजार वन पंचायते स्थापित की जा चुकी हैं, जो राज्य को हरित प्रदेश बनाने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उत्तराखंड राज्य से ही चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जोकि वनों के कटाव को रोकने में एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक कदम था, जिसकी प्रणेता उत्तराखंड राज्य की ही एक साहसी महिला गौरा देवी थी, अतः इस परिप्रेक्ष्य में उत्तराखंड पूरे विश्व के लिए हरित पर्यावरण की प्रथम पाठशाला है। उन्होंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की जरुरत है, इसके लिए राज्य सरकार ने हिमनद प्राधिकरण बनाया है, जो इस क्षेत्र में की गई प्रथम पहल है। राज्य के जनमानस में हरित पर्यावरण की संकल्पना का विकास करने के लिए स्कूलों के पाठ्यक्रमों में वन सुरक्षा, नदियों की सुरक्षा, आयुर्वेद एवं जड़ी-बूटी के महत्व एवं इनसे संबंधित अनेक विषयों को सम्मिलित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक करोड़ ग्यारह लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह वृक्ष लगाए जाने का अभियान कुछ दिनों पूर्व ही बद्रीनाथ से प्रारंभ किया जा चुका है। उन्होंने राज्य में ऊर्जा क्षेत्र में हरित प्रौद्योगिकी के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि कोयले से ऊर्जा प्राप्त करना पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है इसके लिए जल विद्युत ही एक बेहतर विकल्प है, किंतु इसके लिए जल धाराओं का संरक्षण एवं संवर्द्धन भी आवश्यक है, जिस क्षेत्र में राज्य ने उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 40 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, जिसमें से वर्तमान में लगभग 3467 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है और 4700 मेगावाट विद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। राज्य ने वर्ष 2008 में ही ऊर्जा नीति बना दी थी, जिसमें ऊर्जा उत्पादन के मानकों में पर्यावरण के अनुकुल परियोजनाओं को महत्व दिया गया है। इसके अतिरिक्त नवीन ऊर्जा तकनीक के क्षेत्र में कार्य कर रहे निजी निवेशकर्ताओं को राज्य सरकार ने 25 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए भी आमंत्रित किया है, जिसमें राज्य को बड़ी संख्या में प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के समाचार निदेशक, प्रभु चावला ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में देश-विदेश के अनेक ऊर्जा विशेषज्ञों ने भाग लिया और तीन सत्रों में भविष्य में भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं एवं समाधानों पर चर्चा की। कार्यक्रम में हरियाणा के उद्योग मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

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