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नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा है कि गत तीन वर्ष के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस्पात की कीमतों और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव इत्यादि के कारण घरेलू बाजार में इस्पात की मदों की कीमतें घटती-बढ़ती रही हैं। उन्होंने लोकसभा में जानकारी दी कि देश में इस्पात की कीमत नियंत्रण मुक्त है और व्यक्तिगत उत्पादक विभिन्न बाजार दशाओं यथा मांग-आपूर्ति परिदृश्य, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस्पात की कीमतों में उतार-चढ़ाव, कच्चे माल की लागत और अन्य आदान लागतों के आधार पर इसके बारे में निर्णय लेते हैं।
घरेलू बाजार में इस्पात की बढ़ती मांग पर विचार करते हुए सरकार ने घरेलू बाजार में निर्बाध आपूर्ति की स्थिति को स्थिर बनाने और देश में इस्पात के उत्पादन पर भी बल देने के लिए जो वित्तीय कदम उठाए हैं वो हैं- कच्चे माल यथा कोकिंग कोल और स्टील मेल्टिंग स्क्रेप पर आयात शुल्क शून्य है। लौह अयस्क के सभी ग्रेडों और आकारों के निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया है।
इस्पात मंत्री ने बताया कि झारखंड में चिरिया लौह अयस्क खानें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अधीन हैं, सेल ने इन खानों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। सेल 70 लाख टन प्रति वर्ष की रन ऑफ माइनर क्षमता के साथ नवीनतम विकसित मशीनीकृत खानों के रूप में चिरिया लौह अयस्क खानों का विकास कर रहा है। अजीबाबुरू, बुघाबुरू, धोबिल और सुकरी- लातूर पट्टों की खनन योजनाएं भारतीय खान ब्यूरो, नागपुर ने पहले ही अनुमोदित कर दी हैं।