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देहरादून। राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने कहा कि 'भारत के विभाजन की वेदना' की सही अभिव्यक्ति और चित्रण संवेदनशील लेखक और कवि ही कर सकता है। इतिहासकार 1947 के विभाजन जैसी घटनाओं का वर्णन एक अलग ढंग से कर सकते हैं किंतु बंटवारे की मार्मिक वेदना और कष्ट से प्रभावित व्यक्ति महिला या बच्चों के दुःख को एक संवेदनशील लेखक ही प्रभावी शब्दों में व्यक्त कर सकता है।
राजभवन प्रेक्षागृह में मोना वर्मा की पुस्तक 'गॉड इज ए रीवर' के विमोचन के पश्चात मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने आगे कहा कि 'यह बहुत ही दुःख की बात है कि समृद्ध भारत ने विभाजन का असहनीय दर्द झेला और उससे भी ज्यादा दुःखद है कि मानवता ने इतिहास के दुःखद क्षणों से कोई सबक नहीं लिया और उन्हें बार-बार दोहराया।'
मार्ग्रेट आल्वा ने सन् 1947 में देश की आजादी के बाद हुए विभाजन की पीड़ादायक स्मृतियों और अनुभवों को व्यक्त करती इस पुस्तक की लेखिका के प्रयासों की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि विभाजित भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच मजहब के नाम पर उत्पन्न हुई नफरत की भावनाओं को दूर करने का जो कार्य जनप्रतिनिधि नहीं कर सके उस कार्य को लेखक, कवि और कलाकार एक सेतु के रूप में कर सकते हैं।
राज्यपाल ने मोना वर्मा को अत्यंत संवेदनशील और सृजनात्मक क्षमता से समृद्ध प्रतिभाशाली लेखिका बताते हुए कहा -'तुमने सिद्ध कर दिया है कि कलम में तलवार से अधिक शक्ति है, तुमने इतिहास को साहित्य में अद्भुत तरीके से परिवर्तित करके प्रस्तुत किया है, जिसके लिए तुम पूरे समाज की ओर से बधाई की पात्र हो'।
लेखिका मोना वर्मा ने विमोचन कार्यक्रम में अपनी पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए जो कि बंटवारे का दंश झेल चुके लेखिका के निकटतम परिजनों के अनुभवों पर आधारित थे जिसमें तत्कालीन विभाजन के दर्द और पीड़ा का मार्मिक भाव था। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास उस आस्था की कहानी है जो सहेजे जाने से पूर्व खंडित हुई थी। विशिष्ट अतिथि नेता प्रतिपक्ष डॉ हरक सिंह रावत और रोटरी क्लब हरिद्वार के पूर्व जिला गवर्नर डॉ गुलशन ठुकराल ने भी मोना वर्मा के प्रयासों की भरपूर सराहना की। लेखिका की गुरू मंजुला भगत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और लेखिका पर गर्व प्रकट किया।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव अशोक पई और उनकी पत्नी रेखा पई, अपर सचिव मुख्यमंत्री अभिनव कुमार और रविनाथ रमन, एडीसी वीके कृष्ण कुमार सहित अनेक प्रबुद्धजन वरिष्ठ गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि और लेखिका के परिजन भी उपस्थित थे।