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नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार के साथ उत्तरी हिमालई राज्यों के उद्यान मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक में विदेशी फलों की बड़े पैमाने पर पैदावार से स्थानीय उद्यमियों को हो रहे भारी नुकसान पर विचार विमर्श हुआ। इनके कम आयात शुल्क के कारण हिमालई राज्यों के उद्यमियों को काफी नुकसान पंहुच रहा है। मंत्रियों के प्रतिनिधि मंडल ने मांग की कि विदेशी फलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर उद्यमियों को हो रहे नुकसान से बचाया जा सकता है। प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि हिमालई राज्यों में उत्पादित होने वाले फलों को बाज़ार में आने पर विदेशी फलों से प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ती है। इस पर सहमति जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने वाणिज्य मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार को अवगत कराने की बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह प्रकरण डब्लूटीओ से संबंधित है अतः तद्नुसार ही वाणिज्य मंत्रालय इस संबंध में कार्रवाई करेगा।
प्रतिनिधि मंडल के ओलावृष्टि से होने वाली क्षति को दैवीय आपदा घोषित करने की मांग पर राज्यों ने हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एंटी हिलगन को हार्टिकल्चर मिशन के अंतर्गत सम्मिलित करने पर केंद्रीय मंत्री ने सहमति व्यक्त की। बैठक में उत्तराखंड के कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुझाव दिया कि आपदा राहत कोष के मानकों में क्षेत्र के अनुसार परिवर्तित कर पटवारी सर्किल या न्याय पंचायत किया जाना चाहिए। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकारों से प्रस्ताव प्रस्तुत करने की बात कहते हुए इसे 12वीं पंचवर्षीय योजना में सम्मिलित करने का आश्वासन दिया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हार्टिकल्चर मिशन के अंतर्गत 300 वर्ग मील तक के पाली हाउसों के कार्यक्रम पर राज्य सहायता 50 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने की मांग की, जिससे लघु एवं सीमांत किसानों को योजना का लाभ मिल सके। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य सहायता का यह मानक केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुमोदित है किंतु आगामी पंचवर्षीय योजना में इसे शामिल करने का आश्वासन दिया गया।
बैठक में उत्तरी हिमालई राज्यों के कृषि एवं कृषि संबंधित विभागों का दो दिवसीय सम्मेलन 24 और 25 सितंबर 2011 को देहरादून में आयोजित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें शरद पंवार ने भाग लेने पर सहमति व्यक्त की। इस सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड के कृषि एवं संबंधित विभागों के मंत्री भाग लेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस सम्मेलन में तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित करने का सुझाव दिया।
बैठक में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के उद्यान मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में औद्यानिकी से संबंधित समस्याओं को केंद्रीय कृषि मंत्री के समक्ष रखा। उत्तराखंड से उद्यान मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सचिव उद्यान विनोद फोनिया और अपर सचिव/निदेशक उद्यान जीएस पांडे उपस्थित थे। हिमाचल के उद्यान मंत्री नरेंद्र ब्रागटा एवं जम्मू कश्मीर के उद्यान मंत्री एवं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत, सांसद अनुराग ठाकुर केंद्रीय कृषि सचिव, संयुक्त सचिव संजीव चोपड़ा, केंद्रीय बागवानी आयुक्त डॉ गोरख सिंह, संयुक्त सचिव राजेंद्र तिवारी, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के प्रबंध निदेशक विजय कुमार, हिमाचल एवं जम्मू कश्मीर के संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।