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नई दिल्ली। पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री जयंती नटराजन ने लोक सभा में दावा किया है कि देश के विभिन्न भागों में मानव-पशु संघर्ष की समस्या पर नियंत्रण पाने को सरकार उच्चतम वरियता दे रही है और इस संबंध में अनेक कदम उठाए गए हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
जंगल से पशुओं के पर्यावासों के प्रवास को कम करने और खाद्य और जल उपलब्धता संवर्धन हेतु पर्यावासों का सुधार। वनजीव संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्रों और वन्यजीव गलियारों के नेटवर्क का सृजन। संघर्षों को न्यूनतम करने के लिए, क्या करें और क्या न करें के बारे में लोगों को समझाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम। मानव-पशु संघर्ष की समस्या के समाधान हेतु वन स्टाफ और पुलिस के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राज्य सरकारों को मनुष्य –तेंदुआ संघर्ष के प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। प्रशांतिकरण करने के माध्यम से समस्या ग्रस्त पशुओं को गतिहीन करने हेतु आवश्यक अवसंरचना और सहायक सुविधाओं के विकास, बचाव केंद्रों तक उनका पुनर्स्थापन या उन्हें उनके प्राकृतिक पर्यावासों में वापिस छोड़ने हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना। वन्य-पशु हमलों से बचाव हेतु संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास सीमा दीवारों और सौर बाड़ों के निर्माण हेतु राज्य सरकारों को सहायता उपलब्ध कराना। वन्य पशुओं के हमलों के कारण चोट लगने और जीवन हानि हेतु लोगों को अनुग्रह राहत की अदायगी के लिए सरकारी संसाधनों का अनुपूरण करना। राज्य/संघ शासित प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन वज्यजीव अधिनियम, 1972 के उपबंधों के तहत समस्या पैदा करने वाले पशुओं के शिकार की अनुमति देने के लिए सशक्त करना। संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन में स्थानीय समुदाय का सहयोग प्राप्त करने के लिए संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के गांवों में पारि-विकास कार्यकलापों हेतु राज्य सरकारों को सहायता उपलब्ध कराना। अनुसंधान एवं स्वैच्छिक संस्थानों और मानव वन्यजीव भिड़ंत की स्थितियों का प्रबंधन करने में विशेषज्ञता रखने वाले अग्रणी स्वैच्छिक संगठनों के भिड़ंत के कारणों और उनके संभावित उपायों का पता लगाने को शामिल किया जाना है।