स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। बच्चों को गोद लिए जाने की प्रक्रिया की प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाईयों को सरल बनाया जा रहा है। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने राजधानी में बच्चों को गोद लेने या दत्तक बनाने के विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में बताया कि भारत सरकार ने भारतीय बच्चों के दत्तक बनाने के मार्गदर्शक सिद्धांत 27 जून 2011 को अधिसूचित किए थे और इनका उद्देश्य, यतीम, लावारिस और बेसहारा बच्चों के दत्तक बनाये जाने की प्रक्रिया को बालमित्र और सरल बनाना था, अब उनके मंत्रालय का निगरानी और मार्गदर्शन में संबंधित प्राधिकरण बच्चों को गोद लेने को सरल और बाल समर्थित बना रहा है।
चार अगस्त को राजधानी के विज्ञान भवन में बच्चों को गोद लेने संबंधी मार्ग दर्शक सिद्धांतों के क्रियान्वयन और विभिन्न हितधारकों आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने पर चर्चा के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें 18 राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों सहित देश के विभिन्न इलाकों से आये लगभग 120 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला में चर्चा के दौरान वर्ष 2006 में संशोधित किशोर न्याय अधिनियम-2000 और बच्चों के अंतर-देशीय दत्तकीकरण पर– सम्मेलन के प्रस्तावों से उदृत विशिष्ट प्रावधानों पर आधारित दत्तकीकरण के नये मार्ग दर्शक सिद्धांतों पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की गईं। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने वर्ष 2003 में इसकी पुष्टि की थी।