स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समन्वित कार्य बल ने प्रस्ताव किया है कि हर शैक्षिक संस्थान में एक स्वतंत्र शिक्षक नियुक्ति एवं विकास प्रकोष्ठ की स्थापना की जानी चाहिए, जिसके नेतृत्व का दायित्व किसी वरिष्ठ शिक्षक को सौंपा जाए। इसके साथ ही इस कार्य बल का यह भी मानना है कि समस्त प्रशासनिक रूकावटें दूर करके, शिक्षकों की नियुक्ति और उनकी पदोन्नति की प्रक्रिया के बेरोक-टोक काम-काज को सुनिश्चित किया जा सके। कार्यबल ने यह सिफारिश भी की है कि आकड़ों के निरंतर संग्रह और उनके विश्लेषण के लिए एक स्थायी प्रणाली की स्थापना की जानी चाहिए।
शिक्षकों की कमी, निष्पादन की रूपरेखा और मूल्यांकन प्रणाली पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस समन्वित कार्य बल ने अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को सौंप दी है। कार्यबल ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों, नियामक संस्थानों, छात्रों और शिक्षकों के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श और सलाह के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों की कमी और उनके निष्पादन के मूल्यांकन संबंधी समस्याओं का निदान करना है।
कार्यबल का अनुमान है कि शिक्षकों की वर्तमान कमी के अलावा, आगामी दिनों में हर वर्ष एक लाख प्रतिवर्ष शिक्षकों की आवश्यकता बढ़ेगी जिसके लिए संसाधनों को व्यापक पैमाने पर संचालन और उन्हें गतिशील बनाने और एक ऐसे नीतिगत कार्यक्रम की आवश्यकता होगी ताकि उच्च शिक्षा की दिनों दिन बढ़ती जरूरतों की पूर्ति और गुणवत्ता मानकों के रख-रखाव का सुनिश्चित किया जा सके, जिनकी परिकल्पना समाज ने की है।