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आने वाला कल ज्ञान के नाम होगा-कलाम

उच्च शिक्षा के विकास में राज्यपाल ने की निशंक की तारीफ

कुमायूं विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह

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दीक्षांत समारोह

देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने नैनीताल में कुमायूं विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में दीक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आह्वाहन करते हुए कहा कि वे अपना कार्य, सदैव लक्ष्य समर्पण भाव और भविष्य के लिए सुनियोजित दृष्टि से करें। प्रजातंत्र की सफलता के लिये अच्छी शिक्षा का होना जरूरी है। शिक्षक भी विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दें, जिससे उनके मन-मस्तिष्क में देश भक्ति के साथ-साथ अच्छे नागरिक के गुणों का समावेश हो, ताकि वे धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। कुमायूं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति के रूप में अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, चीन और अन्य विकसित देशों के युवा वर्ग की औसत आयु 37 वर्ष के सापेक्ष 2015 तक भारत की कुल जनसंख्या में युवाओं की औसत आयु 27 वर्ष होगी, आज के भारत में युवा होना एक अवसर भी है और चुनौती भी।

राज्यपाल ने प्रबुद्ध युवाओं को अभिप्रेरित करने के लिए दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की कविता 'सांग ऑफ यूथ' की पंक्तियां उद्घृत कीं। कविता में निहित भावार्थ के अनुसार, युवा अपने भीतर ज्ञान, तकनीक और स्नेह की शक्तियों को समाहित करके भारत को नैतिक मूल्यों से संपंन और आर्थिक रूप से सुदृढ़ राष्ट्र बना सकते हैं। युवाओं के लिए कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं हैं अतः उनके समक्ष एक सामान्य लक्ष्य प्रस्तुत करना अपराध के समान है। राज्यपाल ने कहा कि डॉ कलाम की कविता की पंक्तियों में युवा नागरिकों के लिए यह भी संदेश है कि वे ज्ञान की रोशनी से देश के सभी नागरिकों को प्रकाशमान करते हुए भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व में स्थापित करें। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह का आमंत्रण स्वीकार करने के लिए डॉ कलाम के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि उनका जीवन और उनकी उपलब्धियां सदैव, सभी के लिए एक उदाहरण और पथ-प्रदर्शक रहेंगी।

राज्यपाल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकास में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कुमायूं विश्वविद्यालय को शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को उत्कर्ष की ओर ले जाने का श्रेय यहां के कुलपति और शिक्षा संकाय को जाता है। कुलपति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति ने कई नये व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करके उल्लेखनीय कार्य किया है। दीक्षा पाने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं और बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह दिन भविष्य की कठिन यात्रा का पहला पड़ाव है, इस यात्रा को सफल बनाने के लिए आपको बौद्धिक, नैतिक, आध्यात्मिक और व्यावसायिक स्तर पर विकसित होने का संकल्प लेना होगा और यात्रा में आने वाली चुनौतियों से भयभीत हुए बिना उनका सामना भी करना होगा।'

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने युवाओं और उपस्थित जनों से अपेक्षा की कि वे उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय को तीन गुना बढ़ाने के साथ ही आगामी 9 वर्ष में राज्य में साक्षरता दर कम से कम 90 प्रतिशत बढ़ाने के भरसक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि सभी को उत्तराखंड को देश का पहला कार्बन रहित प्रदेश बनाने के लिये पहल करनी होगी। उत्तराखंड में जैव विविधता के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी सुविधाएं देने पर जोर देते हुये कहा कि इससे प्रदेश से युवाओं का पलायन रूकेगा। कलाम ने युवाओं से समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने की अपील करते हुये कहा कि वे किसी भी क्षेत्र में ऐसा कार्य करें जो उनको एक अलग पहचान दे सके। उन्होंने महान वैज्ञानिकों एवं साहित्यकारों के अनेक उदाहरण देते हुये कहा कि इन लोगों ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से समाज को एक ऐसी उपलब्धि दी, जो आज हमारे लिये प्रेरणा का एक मार्ग है। डॉ कलाम ने कहा कि बीता हुआ कल संसाधनों पर टिका था, लेकिन आज और आने वाला कल ज्ञान के नाम होगा।

मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड प्राचीनकाल से ही वैदिक शिक्षा सहित तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है। उत्तराखंड में ही वेद, पुराण, उपनिषद, महाभारत आदि का सृजन हुआ है। आज उत्तराखंड पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त कर रहा है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक संस्थानों की स्थापना से यहां के युवाओं को अपनी प्रतिभा को आगे बढाने का और अधिक अवसर मिल रहा है। प्रदेश में कुमाऊं और गढ़वाल के अतिरिक्त दून विश्वविद्यालय, मुक्त विश्वविद्यालय, तकनीकी, आयुर्वेद, संस्कृत, देवसंस्कृति, वानिकी, उद्यानिकी, पेट्रोलियम आदि विश्वविद्यालयों के साथ ही आईआईएम, एनआईटी और एम्स जैसे संस्थान भी प्रदेश में विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि हमें निजी स्वार्थ और छोटे-छोटे प्रलोभनों में न पड़कर दीर्घकालिक योजनाओं पर कार्य करना होगा।

कुलपति प्रोफेसर वीपीएस अरोड़ा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यह शिक्षा के क्षेत्र में हर रोज नये आयाम स्थापित कर रहा है, उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रत्येक संकायों में किये गये उपलब्धिपूर्ण कार्यो की विस्तार से जानकारी दी। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ कमल के पांडे ने विश्वविद्यालय में सभी संकायों में पदक विजेताओं का परिचय दिया। इसके बाद कुलाधिपति राज्यपाल, मुख्य अतिथि डॉ कलाम और मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक दिये गये। इस अवसर पर अन्य कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षक, अधिकारी-कर्मचारी, अभिभावकों और विश्वविद्यालय के अन्य अंगों के पदाधिकारी, वन मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट, विधायक खड़क सिंह बोरा, टीडीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, मीडिया समिति के उपाध्यक्ष अनिल कपूर डब्बू, पद्मश्री यशोधर मठपाल, पूर्व कुलपति प्रोफेसर आरसी पंत, परिसर निदेशक प्रोफेसर पीएस आनंद, अनेक बुद्धिजीवी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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