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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि इस समय जिस प्रकार से राजनीतिक दलों, समूहों और व्यक्तियों का अदल-बदल हो रहा है, संगठन और समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं, देश में अनिश्चय और भटकाव की स्थिति बनी हुई है, उससे समाजवादी पार्टी को पूर्ण विश्वास है कि वह ऐसी भ्रम की स्थिति में पिछले अनुभवों के आधार पर स्थिर और अच्छी सरकार देने का रास्ता अपनी समझदारी से निकाल लेगी। डाक्टर लोहिया का यह कथन कि सरकारों के अदल-बदल से जनता को कभी न कभी अच्छी सरकार मिल जाएगी, सच होता नजर आ रहा है। देश की जनता को चुनाव के जरिये सरकार पलटना आ गया है। यही कारण है कि हर बार नये अनुभव होते हैं, नये समीकरण और नये गठबन्धन बनते हैं। सपा मुख्यालय पर अमर सिंह, शिवपाल सिंह यादव, संजय दत्त, वीरेंद्र भाटिया और राजेंद्र चौधरी की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा कि परन्तु सरकार बदलने के साथ नीतियों में मौलिक परिवर्तन नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी की कोशिश होगी कि सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्निर्माण के लिये बुनियादी नीतियाँ भी बदलें।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन का इण्डिया शाइनिंग का नारा और संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन सरकार का आम आदमी और इन्क्ल्यूसिव ग्रोथ का नारा खोखला ही साबित हुआ। पिछली सरकारों ने भूख, गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक विषमता और शोषण को खत्म करने के बजाय बढ़ाया ही है। नये अध्ययन के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की 84 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 20 रुपया या उससे कम पर गुजारा करती है। काफी बड़ा हिस्सा महज 9 रुपया औसत प्रतिदिन कमाता है और इसके उलट दुनिया के 10 खरबपतियों में भारत का चौथा स्थान है। लोग भूख से मरते हैं और किसान आत्महत्या के लिये मजबूर हो रहे हैं। देश में महिलाओं की आधी आबादी खून की कमी की शिकार है। तीन वर्ष में कम उम्र के 40 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं, 23 करोड़ लोगों को पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है और 39 प्रतिशत आबादी अभी भी अशिक्षित है। देश में देशी विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। गलत कर प्रणाली, लचर प्रबंधन और पूँजीपरस्त नीतियों के कारण वर्तमान में देश पर 34 लाख करोड़ रुपया कर्ज है। प्रति व्यक्ति 194 डॉलर विदेशी और 24467 रुपया देशी कर्ज है। मानव विकास सूचकांक में भारत का स्थान 177देशों में 128 वां हैं। सरकार की गलत नीतियों के कारण ऐसा माहौल बनता जा रहा है जहां लूट ही लूट है। कौन कितना लूट सकता है, इसकी होड़ है। देश में सादगी की जगह विलासिता, अहिंसा की जगह हिंसा, आत्मसम्मान की जगह चाटुकारिता, स्वदेशी की जगह विदेशी चीजों की भूख, भाईचारे की जगह नफरत और उत्पादन की जगह विदेशी कर्ज ने ले ली है। सारा देश सत्ता के संरक्षण में अराजकता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। समाजवादी पार्टी समता, सम्पन्नता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र के प्रति आस्थावान है और समाज के अन्तिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिये संकल्पित है।
आतंकवाद के मुद्दे पर सपा का मत है कि आतंकवाद और आर्थिक मन्दी आज की सबसे बड़ी चुनौती है। आतंकवादी छाया सर्वव्यापी हो रही है। आमतौर पर देखा गया है कि आर्थिक दृष्टि से जो इलाके या जो देश पिछड़े रहते हैं वे अगड़े देशों में आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ाते हैं, तो कहीं वही अगड़े देश अपने निजी स्वार्थ के लिये हथियार और सरकार के लिये आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों को बर्बाद कर देते हैं जिसका असर दुनिया के कमजोर राष्ट्रों पर पड़ता है और समृद्ध राष्ट्रों की काली करतूतों के खिलाफ सम्पन्न देश चुप्पी साध लेते हैं। इससे आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। अमरीका से लेकर इराक तक इससे मिलती-जुलती आतंकवादी घटनाओं की मिसालें हैं। भारत और पाकिस्तान का मामला थोड़ा अलग है, क्योंकि कल तक दोनों एक ही परिवार में थे। बँटवारे के समय ज्यादातर पिछड़ा इलाका पाकिस्तान में चला गया। हिंदुस्तान चूंकि बड़ा देश था परन्तु अपने पिछड़े इलाके को कुछ सम्भाल लिया किंतु पाकिस्तान आतंकवाद की गिरफ्त में आ गया और पाकिस्तान से जो प्रायोजित आतंकवाद चलता है, भारत सरकार उसका मुकाबला प्रभावी ढंग से नहीं कर पाती है। क्षेत्रीय विषमताएं चाहे अन्तर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय हो, उनके कूड़े पर ही आतंकवाद के कीड़े पैदा होते हैं। पूर्वोत्तर में इसी तरह की बातों का असर है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय विषमता के कारण एशिया, मध्य एशिया व अफ्रीका अशान्त हैं।
समाजवादी पार्टी का कहना है कि वह देश के स्तर पर अपनी पूरी ताकत लगाकर क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करेगी। दुनिया के पैमाने पर जो पंचायत काम करती है वह आधी-अधूरी है और अमरीका के इशारे पर काम करती है। समाजवादी पार्टी प्रयास करेगी कि जो राष्ट्र विकसित हो गये हैं वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा अविकसित राष्ट्रों के विकास में लगाएं ताकि क्षेत्रीय विषमता खत्म हो। देश से लेकर विश्व स्तर तक इतने बड़े सवाल को हल करने के लिये कोई सरकार नहीं बन सकती। मिली जुली सरकारों से कोई बड़ी दृष्टि की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिर भी केन्द्र में जो सरकार साम्प्रदायिक शक्तियों के विरोध में बनेगी, सपा का दबाव होगा कि देश से आतंकवाद को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिये इसकी जड़ पर तेज हमला किया जाए।
आर्थिक मंदी के बारे में सपा का कहना है कि
भारत और लगभग सारी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है। जब कभी भी उपभोक्ता संस्कृति चढ़ाई पर होती है और जीवन में दिखावटीपन आने लगता है, तो एकबारगी बाजार का रुख बिगड़ जाता है और उस बिगड़े हुए रुख के बाद बड़ी-बड़ी हस्तियां कमजोर हो जाती हैं। आज अमरीका में आर्थिक मन्दी आयी है तो उसका असर सारी दुनिया पर पड़ रहा है क्योंकि अमरीका सारे बाजार पर हावी हो गया है और विश्व के सारे बाजार उस आर्थिक मन्दी की वजह से तबाह हैं। थोड़े से लोगों में जब यह क्षमता आ जाती है कि वे बाजार से अच्छे से अच्छा सामान खरीद सकें और दुनिया या देश की बड़ी आबादी केवल दर्शक बनकर रह जाए तो उसके बाद वह बाजार बैठ जाती है। गाँव के छोटे बाजार में अगर आइसक्रीम, पेस्ट्री या बढि़या मिठाई की दुकान खुल जाए तो केवल थोड़े से खरीददार होंगे, शेष में क्षमता नहीं होगी और वह दुकान बैठ जाएगी। पूंजी से पैदा की हुयी चीजें थोड़े समय के लिये बाजार में चमक पैदा करती हैं और कभी-कभी इतनी चमक कि भारत जैसा संस्कृति प्रधान देश ताजमहल जैसा बड़ा महल निर्माण कर लेता है लेकिन गरीब की झोपड़ी नहीं बन पाती, क्योंकि गरीब की झोपड़ी के लिये हजार दो हजार ईंट खरीदने की ताकत उसमें नहीं रहती। इस समय एक ईंट की कीमत तीन रुपया होगी। ऐसी स्थिति में पूंजी का केन्द्रीयकरण होता है और जब पूंजी आम उपभोक्ता तक नहीं पहुंचेगी और चलती-फिरती नहीं रहेगी तो मन्दी आती रहेगी। समाजवादी पार्टी पूंजी के चलायमान होने की पक्षधर है और जीवन की न्यूनतम मूलभूत आवश्यकताएं- रोटी, कपड़ा और मकान सबको उपलब्ध कराना समाजवादियों का लक्ष्य है। 23 साल पहले एक कुन्तल गेंहू से बाजार में दस हजार ईंट मिलती थी और अब एक कुन्तल गेंहू की कीमत एक हजार रुपया है और एक हजार ईंट की कीमत तीन हजार रुपया है। एक लीटर पेट्रोल की कीमत एक रुपया थी जो आज अड़तालीस गुना बढ़ गयी हैं। बाजार का यह असन्तुलन कल-कारखाने या रिफाइनरी द्वारा जमीन की पैदावार को लूटने के लिये बढ़ाया गया उससे बेरोजगारी बढ़ती है।
पिछली सरकारों ने फारवर्ड ट्रेडिंग, शेयर बाजार और बाजार की मॉल संस्कृति को बढ़ावा दिया है। समाजवादी पार्टी की मदद से जो भी सरकार बनेगी, उसे कम करेगी या रोक देगी। आदमी के श्रम को महत्व दिया जायेगा और जो काम आदमी के हाथ से हो सकेगा, उसे कम्प्यूटर और मशीन का गुलाम नहीं बनाया जायेगा। अब ट्रैक्टर का युग आ गया है। किसानों के दरवाजे से बैल गायब हो गये हैं और बैल, गाय के बछड़े गाँव के बाजार से कलकत्ता के कमेलो के हाथों में चले गये। हार्वेस्टर का जमाना आ रहा है, फसल की कटाई करके गाँव का मजदूर पाँच-छः महीने के लिये अपनी रोटी का इन्तजाम कर लेता है। हार्वेस्टर आने के बाद मजदूर बेरोजगार हो जाएगा और भूखों मर जाएगा। यही काम दफ्तरों में कम्प्यूटर कर रहा है। समाजवादी पार्टी इस बात को दोहराती है कि जो काम हाथ से हो सके उसके लिये मशीन के प्रयोग पर रोक लगायी जाए। समाजवादी पार्टी ऊँची तनख्वाहों, सुविधाओं पर रोक की पक्षधर है। ऊँचे वेतन और न्यूनतम वेतन में एक तर्कसंगत संतुलन से ही राष्ट्र में पूंजी का निर्माण हो सकता है। पूंजी निर्माण विकास की कुंजी है।
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। महात्मा गांधी भूखे के लिये खेती को भगवान मानते थे। अन्य कामों के लिये इंतजार हो सकता है, कृषि के लिये नहीं। प्रयास होगा कि किसानों की कृषि योग्य जमीन का उद्योगों के लिये जबरिया अधिग्रहण न किया जाए 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर बैंकों से कर्ज उपलब्ध कराया जाए। किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिये उनकी लागत खर्च में उसका पचास प्रतिशत जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। आलू को भी समर्थन मूल्य वाली जिंसों में शामिल किया जाए। गाँवों से जो पैसा बैंकों या जीवन बीमा में जमा होता है, ग्रामीण विकास व खेती पर खर्च किया जाए। सम्पूर्ण सिंचाई के लिये मास्टर प्लॉन बनाया जाए और सिंचाई का इन्तजाम मुफ्त हो। राष्ट्रीय जल नीति बनायी जाए। जंगल में बसे आदिवासियों को उनका अधिकार सुरक्षित किया जाए।
सरहदों के बारे में सपा की राय है कि उसकी कोशिश होगी कि सरहद की सुरक्षा को और ज्यादा मजबूत किया जाए। चीन की सरकार ने अरुणांचल पर दावा ठोंक दिया है। समाजवादी पार्टी चीन की सरकार की इस विस्तारवादी नीति की आलोचना करती है। समाजवादी पार्टी शुरू से ही तिब्बत की स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता की पक्षधर रही है और अगर समाजवादी पार्टी की मदद से कोई सरकार बनती है तो सरकार पर दबाव बनायेगी कि तिब्बत की संस्कृति, भाषा, स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिये चीन की सरकार दलाई लामा से सम्मानपूर्ण बातचीत करे और पूरे हिमालयी क्षेत्र को शान्ति क्षेत्र घोषित किया जाए।
समाजवादी पार्टी स्वतंत्र और सृजनात्मक विदेश नीति की पक्षधर है। पड़ोसी देशों से मित्रवत सम्बंध बनाना चाहती है और वहाँ के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाने की इच्छुक है। साथ ही समाजवादी पार्टी पड़ोसी देशों में चल रही लोकतंत्र की लड़ाई का समर्थन करती है। बर्मा की नजरबन्द नेता ची शू की के अदम्य साहस, संकल्प और धीरज की सराहना करती है। नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना, बांग्लादेश में नये चुनाव कराने और पाकिस्तान में मिलिट्री शासन समाप्त किये जाने के लिये वहाँ की जनता की तारीफ करती है। साथ ही आशावान है कि भारत के साथ विकास और शान्ति की स्थापना के लिये आपसी सम्बन्ध और सहयोग मजबूत होंगे।
बेरोजगारी मुद्दे पर सपा का कहना है कि बेरोजगारी बढ़ी है। मंदी के कारण संगठित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छटनी हो रही है और असंगठित क्षेत्र में लगे मजदूरों की हालत कम मजदूरी और अनियमित रोजगार के कारण अत्यन्त दयनीय है। समाजवादी पार्टी काम के अधिकार को मौलिक अधिकार मानती है और काम न मिलने पर बेकारी भत्ता दिये जाने की समर्थक है। समाजवादी पार्टी अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश में दिये गये बेकारी भत्ते के समान पूरे देश में नौजवानों को बेकारी भत्ता दिये जाने के लिये सरकार पर दबाव बनायेगी। आजादी मिलने के 60 साल बाद भी लोग भूख से मरते हैं। सपा भूख से मरने वाले के आश्रितों को हर्जाना दिलाने तथा काम के योग्य को रोजगार दिये जाने का वचन देती है।
समाजवादी पार्टी का पुराना नारा रहा है खुला दाखिला, सस्ती शिक्षा, लोकतन्त्र की यही परीक्षा। शिक्षा सुलभ और सस्ती हो। शिक्षा का निजीकरण और व्यवसायीकरण समाप्त किया जाए। शिक्षा में गुणवत्ता व संसाधन जुटाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम ६ प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाए। केंद्रीय विश्वविद्यालय स्वायत्त एवं लोकतांत्रिक हो तथा अनिवार्य रूप से छात्रसंघों का गठन और नियमित चुनाव हो। शिक्षा, प्रशासन और अदालतों में अंग्रेजी का चलन समाप्त कर देशी भाषाओं का प्रयोग हो। (सपा ने स्पष्ट किया है कि उसका आशय यह नहीं है कि वह अंग्रेज़ी के खिलाफ है या अंग्रेज़ी स्कूल बंद कराएगी अपितु वह भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगी) पंद्रह साल के बच्चों की पढ़ाई एक ही किस्म के विद्यालयों में हो। शिक्षा व पाठ्यक्रम समान हो। अंग्रेजी माध्यम के खर्चीले स्कूल समाप्त किये जाएं। लड़कियों की पढ़ाई बीए तक मुफ्त हो तथा इंटरमीडिएट पास होने पर हर लड़की के लिए उप्र की कन्या विद्याधन योजना की तर्ज पर पूरे देश में लागू इसे लागू किया जाए। सरकारी नौकरियों में भर्ती की उम्र बिना किसी वर्ग भेद के समान रूप से 40 वर्ष हो।
आरक्षण सपा सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में पिछड़ो, मुसलमानों, अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण का समर्थन करती है। इन वर्गों को नौकरियों में आरक्षण के प्राविधान का पूरी तरह से पालन किया जाए तथा ऐसा न करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए। पिछड़े वर्ग, मुसलमानों तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये सरकारी नौकरियों की तरह मेडिकल कालेजों, आईटीआई, आईआईएम तथा मेडिकल संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाएगी।
धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव के प्रति सपा मुसलमानों, अल्पसंख्यक समूहों और आदिवासियों को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने के लिये उनके चहुमुखी विकास को आवश्यक मानती है। धर्म और जाति के आधार पर जनता के ध्रुवीकरण को देश की एकता और लोकतंत्र के लिये खतरा मानती है। इसलिये सपा राजनीति, शिक्षा और प्रशासन में इनके इस्तेमाल की घोर विरोधी है। समाजवादी पार्टी सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू कराने, अति पिछड़े एवं दलित मुस्लिमों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने तथा किसानों के कर्ज माफी की तर्ज पर बुनकरों का हथकरघा एवं पावरलूम का विद्युत बकाया माफ करने का काम करेगी। साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ व्यापक और कड़ा कानून बनाने, गुजरात नरसंहार के पीडि़तों को तेजी से न्याय दिलाने, श्रीकृष्ण जाँच आयोग की रिपोर्ट पर अमल करने तथा तमाम स्कूली पाठ्य पुस्तकों से साम्प्रदायिक पाठों को हटाने का काम करेगी। समाजवादी पार्टी भारत की नई सरकार पर दबाव बनायेगी कि अनुसूचित जाति उत्पीड़न कानून को प्रभावी बनाने तथा इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए उपाय करे।
दारुल उलूम देवबंद एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अरबी, फारसी विश्वविद्यालय है तथा दुनिया भर के लोग इस विश्वविद्यालय में आकर धार्मिक शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं। सरकार की तरफ से लगभग 15 सालों से धार्मिक शिक्षा के लिए विद्यार्थी वीजा जारी नहीं किए जाते हैं जिसके कारण बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, खाड़ी व यूरोपीय देशों के विद्यार्थी देवबंद में शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाते हैं और इस कारण दारुल उलूम देवबंद की शिक्षा का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया में नहीं हो पा रहा है। अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनी अथवा पार्टी किसी सरकार में शामिल हुई तो दारुल उलूम देवबंद में विदेशी छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए कानूनी तौर पर विद्यार्थी वीजा उपलब्द्द कराया जाएगा।
पर्यावरण असंतुलन की समस्या विश्वव्यापी है। हमारे देश में भी दुर्भाग्य से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की कोई तर्कसंगत नीति नहीं बनायी गयी। नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर सिमट रहे हैं। जलस्तर तेजी से गिर रहा है। तापमान बढ़ रहा है। सारी दुनिया के सामने गम्भीर संकट आने वाला है। समाजवादी पार्टी एक ऐसी पर्यावरण नीति की कल्पना करती है, जिसमें प्रकृति का संतुलित दोहन हो तथा ऐसी उत्पादन प्रणाली विकसित की जाए, जिससे मानव शक्ति का ज्यादा उपयोग हो ताकि बाढ़, सूखा एवं प्रदूषण जैसी आपदाओं से बचा जा सके। पेड़-पौधे, नदी-तालाब, पशु-पक्षी एवं मानव एक दूसरे के हितैषी हैं तथा पर्यावरण के लिये इनका संरक्षण जरूरी है।
सार्वजनिक जीवन में शुचिता और ईमानदारी को आवश्यक मानती है और जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का समूल नाश चाहती है। सपा डा- लोहिया के इस कथन से सहमत है कि जब लोगों में देश की दौलत बढ़ाने की आस खत्म हो जाती है तो अपनी दौलत बढ़ाने की भूख तेज हो जाती है। यह भूख ताकतवर और बड़े लोगों में अधिक होती है। भ्रष्टाचार का मर्म यही है। इसलिये समाजवादी पार्टी काले धन को जब्त करने और लोकपाल बिल पास करने के लिये सरकार पर दबाव बनायेगी। समाजवादी पार्टी न केवल आमदनी अपितु खर्च पर भी कर लगाने की पक्षधर है।
यह आम लोगों की धारणा है कि सत्ता में बैठे लोग देश भर में न केवल अपने राजनैतिक विरोधियों का बल्कि तमाम निर्दोष गैर राजनैतिक व्यक्तियों का भी उत्पीड़न कर रहे हैं और इस उत्पीड़न में सरकारी मशीनरी का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में 18700 पुलिस सिपाहियों की बर्खास्तगी और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उनकी बहाली न करना इसका ज्वलन्त उदाहरण है। समाजवादी पार्टी सत्ता में आने पर इन सभी पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिये प्रभावी कार्यवाही करते हुए उन्हें पुनः नौकरी में बहाल करेगी और राजनैतिक दबाव में काम करने वाले अधिकारियों की जाँच के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी का गठन करके निश्चित अवधि के अन्दर उन्हें दण्डित करने का काम करेगी।
पूरे देश में अधिवक्ताओं के भविष्य की सुरक्षा हेतु बीमा का प्राविधान किया जायेगा और उत्तर प्रदेश में चल रही बीमा योजना की धनराशि में अभिवृद्धि की जायेगी। जूनियर अधिवक्ता जिनकी वकालत 7 वर्षों से कम है, उनके लिये लाईब्रेरी भत्ते की योजना लागू की जायेगी।
आयकरदाता व्यापारियों का 10 लाख का बीमा कराया जायेगा। आयकर की छूट डेढ़ लाख से बढ़ाकर ढाई लाख की जायेगी। आयकर एवं सर्विस टैक्स कानून सरल और सुसंगत बनाया जायेगा। स्क्रूटनी व्यवस्था समाप्त की जायेगी। आयकर की ऑडिट सीमा 40 लाख से बढ़ाकर 2करोड़ की जायेगी। नगद लेन-देन की सीमा 20 हजार से बढ़ाकर एक लाख की जायेगी। वैट को सुसंगत बनाया जायेगा। सभी समाधान योजनाएं लागू की जायेंगी। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम व बांट-माप अधिनियम में सुधार किया जायेगा। केन्द्र सरकार की सभी सरकारी कमेटियों में व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। एक्साइज के अन्तर्गत लघु उद्योगों की छूट सीमा एक करोड़ से बढ़ाई जायेगी।
समाजवादी पार्टी ने देशवासियों से अपील की है कि वे लोकतन्त्र, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय स्वाभिमान, व्यक्ति की गरिमा और सामाजिक समरसता की स्थापना के लिये उसके उम्मीदवारों को जिताएं।
नौकरी पाने की उम्र 40 साल, तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थन, रोटी, कपड़ा और मकान, खुला दाखिला, सस्ती शिक्षा, आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे, भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल बिल कानून, वकीलों के लिए बीमा