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लखनऊ। आईआरडीएस की संयोजक नूतन ठाकुर का कहना है कि अन्ना हजारे और उनकी टीम की देश पर जबरदस्ती जन लोकपाल बिल थोपने की कोशिश हो रही है जोकि गलत है और अत्यंत निंदनीय है। नूतन ठाकुर ने एक बयान में कहा है कि उनकी संस्था आईआरडीएस का यह स्पष्ट मत है कि जन लोकपाल बिल की हमारे देश को कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि देश में पहले से ही कई सारे उपयोगी क़ानून मौजूद हैं और इन कानूनों के अनुपालन के लिए भी तमाम संस्थाएं हैं जो अपना-अपना काम कर रही हैं, चूंकि हर स्तर पर कमी और कमजोरियां हैं, इसलिए उन कमजोरियों को दूर करने के लिए ईमानदारी से प्रयास किये जाने की जरूरत है, न कि एक और नया कानून और एक नई संस्था देश पर लाद देने की।आईआरडीएस का मानना है कि अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल में बहुत सारी बातें जैसे- संपत्ति कुर्क करना, भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा से निकालना आदि की व्यवस्था तो पहले से ही कानून में है और इसमें कुछ नया नहीं है, उनके प्रस्तावित बिल में कई ऐसी बातें हैं जो जनतांत्रिक प्रणाली के पूर्णतया विपरीत हैं एवं चेक और बैलेंस के सिद्धांत के विरोध में हैं, इस प्रकार उनके प्रस्तावित प्रावधान अपने आप में काफी खतरनाक हैं और भविष्य में एक अतिशक्तिशाली अनियंत्रित सत्ता केंद्र को जन्म दे सकते हैं। एक प्रकार से यह पूरा प्रयास जनतांत्रिक व्यवस्था को बलपूर्वक कब्जे में लेने के एक प्रयास के रूप में दिखाई देता है, यह फासीवाद की ओर इशारा करता है, जहां स्थापित कानूनों का अकारण विरोध किया जा रहा है और भविष्य में एक मनमाना जन लोकपाल पूरे देश को कब्जे में करके इसके साथ खिलवाड़ कर सकता है।नूतन ठाकुर का कहना है कि हम यह मानते हैं कि इस कथित आंदोलन से जुड़े लोग, भ्रष्टाचार के प्रति मौजूद आक्रोश को गलत ढंग से भुना कर अपना व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने और एक समानांतर सत्ता स्थापित करने को प्रयासरत हैं, जिसका नुकसान यह होगा कि आगे चल कर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान अपनी विश्वसनीयता खो बैठेंगे और देश को इसकी क्षति पहुंचेगी। उन्होंने कहा है कि हम यह भी मानते हैं कि हमें जन लोकपाल की नहीं बल्कि मौजूदा संवैधानिक संस्थाओं और संगठनों को आवश्यकतानुसार मजबूत बनाने की जरूरत है।