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शहरों की मलिन बस्तियों का बुरा हाल

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नई दिल्ली। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा है कि सरकार को इस बात की जानकारी है कि शहरों में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाओं की भंयकर कमी का सामना करना पड़ता है। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने प्रोफेसर अमिताभ कुंडू की अध्यक्षता में मकानों की कमी के आकलन के बारे में तकनीकी समूह गठित किया था, जिसने अनुमान लगाया है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना यानि 2007 के शुरू में रहने के लिए 247 लाख मकानों की कमी थी। इनमें से करीब 99 प्रतिशत कमी देश के शहरी इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर, कम आय वाले वर्गों के लिए थी।

सरकार ने 3 दिसंबर 2005 को जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय नवीनीकरण मिशन शुरू किया, ताकि शहरी गरीबों, मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए आवास और अन्य बुनियादी परियोजनाओं का मुद्दा उठाने के लिए राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता की जा सके। राज्य सभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में सैलजा ने बताया कि जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत नीतिगत पहल के अनुसार सरकार ने सस्ते मकानों की यह एक योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत 5000 करोड़ रुपये की लागत से, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, कम आय वाली श्रेणी, मध्यम आय वर्ग के लिए दस लाख मकान बनाये जाएंगे। मलिन बस्ती मुक्त भारत के निर्माण के लिए 2 जून 2011 को राजीव आवास योजना शुरू की गयी है। इस योजना का उद्देश्य उन राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करना है, जो मलिन बस्तियों में रहने वालों को संपत्ति का अधिकार देने के लिए तैयार हैं।

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