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नई दिल्ली। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि राष्ट्रीय शहरी आवास और पर्यावास नीति 2007 में अन्य बातों के साथ-साथ कम लागत, पर्यावरण अनुकूल भवन सामग्री एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ाने पर बल दिया गया है, ताकि सीमेंट, इस्पात, ईंटें, लकड़ी आदि जैसी दुलर्भ परंपरागत सामग्रियों के उपयोग में बचत की जा सके, जिससे मकानों की लागत घटाई जा सकेगी। इस नीति में स्थानीय रूप से उपलब्ध भवन सामग्री को बढ़ाने और विकेंद्रीकृत उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया गया है। उन्होंने बताया कि अनुसंधान और विकास संस्थानों से विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद ने देश के विभिन्न भागों में प्रदर्शन के लिए कुछ संरचनाओं का निर्माण किया है, जिससे लागत में कमी दिखाई देती है। उसने देश के विभिन्न क्षेत्रों में वैकल्पिक कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों से डिजाइन पैकेज भी विकसित किए हैं और व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए राज्य सरकारों की इच्छा से कम लागत की प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है।