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नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि लेह की 114 हेलीकाप्टर यूनिट के पायलटों ने एक साहसी बचाव अभियान में 22 अगस्त 2011 को लद्दाख क्षेत्र की जांस्कर श्रृंखला की पदम घाटी में दो विदेशी नागरिकों स्लोवाकिया की क्रिस्टीना चनपेकोवा और चेक गणराज्य के वालास्के मर्जिसी को सुरक्षित बचा लिया गया है। जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख में 'पदम' से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में शिनकुन ला क्षेत्र में चेक गणराज्य और स्लोवाकिया के नागरिकों के नौ सदस्यीय पर्वतारोहण दल ने अभियान शुरु किया तो इसके कुछ सदस्यों को उच्च अक्षांशीय स्वास्थ्य समस्या महसूस हुई, जब दल ने तत्काल हवाई बचाव अभियान के लिए अपने दूतावास के माध्यम से अनुरोध किया तब तक इसके एक सदस्य की मृत्यु हो चुकी थी जबकि दो अन्य सदस्यों की हालत गंभीर हो गयी थी।
भारतीय वायु सेना के पश्चिमी वायु कमान मुख्यालय ने तुरंत हरकत में आकर लेह की 114 हेलीकॉप्टर यूनिट को बचाव अभियान का काम सौंपा गया। 'सियाचिन पायनियर्स' के नाम से विख्यात 114 एचयू ने अभियान के लिए जरुरी जानकारियां जुटाईं और विंग कमांडर एएस राजपूत के नेतृत्व में दो हेलीकॉप्टर वाले बचाव दल ने बहुत सीमित समय होने के बावजूद बचाव अभियान के लिए मार्ग, ईंधन, शक्ति गणना और उड़ान सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर विचार कर पूरी योजना बनायी। स्क्वाड्रन लीडर एस अग्रवाल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए भारमोरिया और फ्लाइट लेफ्टिनेंट दिपिन चक्रवर्ती के चालक दल ने स्थिति का सही-सही आकलन किया जो शिनकुन ला से शुरु हुए इस अभियान की योजना का आधार बन गया।
इस अभियान में 17,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बहुत ही सीमित स्थान में हेलीकॉप्टर को उतारने का काम शामिल था। हेलीकॉप्टर उतारने के लिए सीमित जगह की उपलब्धता, बिजली की नगण्य आपूर्ति, दिन के प्रकाश की सीमित उपलब्धता, घाटी का रास्ता और अधकचरे लैंडिंग साइट के कारण यह अभियान बेहद जोखिम भरा था। सियाचिन पायनियर्स के चालक दल ने अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना पेशेवर कामकाज, नियोजन और साहस के उच्चतम स्तर को प्रदर्शित किया, जिसके परिणामस्वरूप अभियान सफलतापूर्वक संपंन हुआ। दो हेलिकॉप्टर सूर्यास्त के बाद लगभग अंधेरे में वापस लौटे। एयर कमोडोर एसपी वागले वीएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग, एएफएस लेह, ने व्यक्तिगत तौर पर पूरे अभियान की देखरेख की और इसका समन्वय किया।
एक बार फिर एयर फोर्स स्टेशन लेह और 114 एचयू ने अपने आदर्श वाक्य हम मुश्किल और असंभव काम भी दिनचर्या की तरह निपटाते हैं, चाहे यह जितना भी लंबा समय ले को चरितार्थ किया। उन्होंने बेहद चुनौतीपूर्ण अभियान में एक चेक और स्लोवाक नागरिक का जीवन बचाकर भारतीय वायुसेना और उसके हेलीकॉप्टर बेड़े ने दुनिया की वायु सेनाओं में अपनी छवि उज्जवल की है।