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नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय, रक्षा संबंधी उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है। वर्ष 2006 में रक्षा खरीद प्रक्रिया के भाग के रूप में एक मेक प्रोसीजर आरंभ किया गया था ताकि रक्षा उपकरणों का स्वदेश में विकास और निर्माण को प्रोत्साहित किया जा सके, इस श्रेणी के अंतर्गत कुछ प्रमुख उपकरणों के विकास के लिए कार्रवाई चल रही है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जनवरी 2011 से एक रक्षा उत्पादन नीति आरंभ की गई है, जिसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन में स्वदेशी क्षमता को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
इस नीति में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न उपाय शामिल हैं। इससे अनुसंधान और विकास परियोजनाओं और साथ ही एमएसएमईज द्वारा रक्षा उत्पादों के विनिर्माण में भी प्रोत्साहन और सुविधाएं मिलेंगी। डीपीपी 2006 के भाग के रूप में आरंभ की गई ऑफसेट प्रक्रिया का उद्देश्य भी स्वदेशी क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना है। वर्ष 2011-12 के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार, आयुद्ध कारखाने 11,700 करोड़ रुपए मूल्य के हथियार, गोला-बारूद और उत्पाद जारी करेंगे, जबकि 8 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लिए उत्पादन की बिक्री/मूल्य के रूप में 31,590 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है।