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कनखल में गूंजे संस्कृत के महाश्लोक

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संस्कृत सम्मेलन-sanskrit conference

हरिद्वार। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जगद्गुरू शंकराचार्य आश्रम कनखल हरिद्वार में अखिल भारतीय संस्कृत सम्मेलन, चतुर्वेदसांद मुद्रिका विश्व सम्मेलन संस्कृत लघुनाटक, लघुकथा समस्या पूर्ति पुरस्कार वितरण समारोह में सभी का अभिनंदन करते हुये कहा है कि दुनिया में सबसे अधिक आध्यात्मिक स्थल कहीं है तो वह है उत्तराखंड और देववाणी कोई है, तो वह संस्कृत ही है, इससे न केवल संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामना की जाती है, बल्कि यहां आकर हर मनुष्य को आध्यात्मिक, मानसिक शांति मिलती है। उन्होंने दोहराया कि संस्कृत को प्रदेश की द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता देकर इसके सर्वांगीण विकास की नींव रखी जा चुकी है, उत्तराखंड सरकार ने कुछ गांवों को संस्कृत गांव भी बनाया है, इस संबंध में उन गांवों में संस्कृत के उत्थान के लिये कार्य शुरू किया गया है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार पूरे देश में ही नहीं, पूरे विश्व में होना चाहिए। संस्कृत और वेद दोनों का जीवन मे अहम स्थान है, उन्होंने सभी अतिथियों के साथ संतगणों का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके कारण ही वेदवाणी संस्कृत संरक्षित एवं जीवित है। कार्यक्रम में संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन कौशिक एवं शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम जी महाराज ने भी संस्कृत के साथ-साथ वैद्विक महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संत जनों के अलावा संस्कृत के अनेक विद्वान मौजूद थे।

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