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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनावों से संबंधित अदालती मामलों पर शुक्रवार को संसद में एक वक्तव्य दिया, जिसमे उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार की शाम गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट मिली कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरभगवान सिंह, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनावों से संबंधित अदालती मामलों के बारे में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पेश हुए। समझा जाता है कि उन्होंने दावा किया है कि वे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि 8 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना सरकार वापस ले लेगी। सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि 8 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना वापस लेने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है।
गृहमंत्री ने कहा कि बताया गया है कि उनके बयान पर उच्च न्यायालय ने कुछ आदेश भी दिये हैं। इस मामले में किसी वरिष्ठ वकील की सेवाएं ली जानी चाहिएं, इस सुझाव पर विधि और न्याय मंत्रालय ने 1 सितंबर 2011 को एक पत्र लिखा था, जिसमें उच्च न्यायालय के सामने मौजूद तीन में से दो मामलों में हरभगवान सिंह की सेवाएं लेने को मंजूरी दी थी। गृह मंत्रालय को इस आदेश की प्रति अभी नहीं मिली है, न तो विधि मंत्रालय ने और न ही गृह मंत्रालय ने हरभगवान सिंह को वकालतनामा दिया था। सरकार की ओर से उन्हें कोई विवरण भी नहीं बताया गया था। विशेष बात यह है कि उन्हें इस तरह का बयान देने का कोई अधिकार नहीं था कि 8 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना सरकार द्वारा वापस ली जाएगी। सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि 8 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना वापस लेने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार ने इन तथ्यों को उच्च न्यायालय के सामने भी पेश किया है।