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भातखंडे जयंती में दिखेंगी शानदार प्रस्तुतियां

कैंपस रिपोर्टर

पंडित विष्णु नारायण भातखंडे-pandit vishnu narayan bhatkhande

लखनऊ। बीसवीं शताब्दी के महान संगीतोद्धारक पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के कभी मैरिस म्यूजिकल कॉलेज, फिर भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय और अब भातखंडे संगीत संस्थान ने 9, 10 और 11 सितंबर को होने वाले भातखंडे जयंती संगीत समारोह की अभूतपूर्व तैयारियां की हैं। भातखंडे संगीत संस्थान सम-विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर श्रुति सडोलीकर काटकर ने समारोह की तैयारी के सिलसिले में बुलाए गए संवाददाताओं से कहा कि इस समारोह में ख्याति प्राप्त संगीतज्ञों और शास्त्रीय संगीत की विद्यालयीन शिक्षा की जोरदार प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी। संगीत के विविध कार्यक्रमों में पहले दिन राज्य के संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय, दूसरे दिन संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव स्तुति नारायण कक्कड और तीसरे दिन भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक अभय कुमार सिंह मुख्य अतिथि होंगे। गोमती नगर में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह में प्रतिदिन शाम को 6 बजे से कार्यक्रम शुरू होंगे।

कुलपति प्रोफेसर काटकर ने कहा कि पहले दिन, पहली प्रस्तुति पद्मश्री सरोजा वैद्यनाथन की गुरू सम्मान होगी, दूसरी प्रस्तुति विकास गंगाधन तैलंग के निर्देशन में विद्यार्थियों की भातखंडे कृति होगी। इसके बाद सरोजा वैद्यनाथन और उनके नई दिल्ली के शिष्यों का भरतनाट्यम एवं अंत में कोलकाता के पंडित उल्हास कशालकर का शास्त्रीय गायन होगा। दस सितंबर को पहला कार्यक्रम डॉ सृष्टि माथुर के निर्देशन में विद्यार्थियों की भातखंडे कृति की प्रस्तुति, दूसरा पुणे के अरविंद थत्ते का हारमोनियम वादन होगा और अंत में कोलकाता की शुभ्रा गुहा का शास्त्रीय गायन होगा। समारोह के अंतिम दिन भातखंडे के विद्यार्थियों की कृति सीमा भारद्वाज के निर्देशन में प्रस्तुत होगी, इसके बाद मुंबई की पंडिता अनुराधा पाल का एकल तबला वादन और फिर जयपुर की प्रेरणा श्रीमाली का कथक नृत्य होगा।

कुलपति ने बताया कि गुरू सम्मान कार्यक्रम, समविश्वविद्यायल के संगीत छात्रों के लिए एक परिचय होगा, जिसे गुरूपूर्णिमा भी कहते हैं, ये परिचय छात्रों को गुरू की शिक्षा से संबंधित होगा, जिसमें आने वाले समय में छात्र भी गुरू से अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। विद्यार्थियों को किसी विद्यालय के परिचय के बगैर उन्हें भातखंडे कृति निर्देशन में शामिल किया गया है, ताकि वे समान रूप से एकता पूर्वक समारोह में भाग लें और अपनी कला का परिचय दें। प्रोफेसर काटकर ने संवाददाताओं के विभिन्न सवालों के जवाब में कहा कि गायन कला में पुरूष गायकों की कमी हो गई है, भारत में 120 करोड़ की आबादी में अच्छे गायकों को केवल उंगलियों पर गिना जा सकता है। उनका कहना है कि गायन क्षेत्र एक गणित की तरह है, जहां हर लय को ऊपर नीचे होने में देर नहीं लगती, जैसे गणित में दो और दो चार होता है, उसी प्रकार गायन में भी दो और दो चार होता है, साढ़े चार भी हो सकता है, संगीत एक शास्त्र है। उन्होंने गायन की गणित और विज्ञान से तुलना की।

काटकर ने संगीत क्षेत्र के अपने अनुभव और दृष्टिगत व्यवहार को सामने रखते हुए कहा कि हारमोनियम और इसराज जैसे वाद्य यंत्रों की अहमियत खत्म होती जा रही है, इसमें इसराज तो गायब ही हो गया है। काटकर ने कहा कि संगीत में गहन रूचि रखने वाले छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए उनके संगीत संस्थान में रियाज करने की सुविधा है, कुलपति ने चिंता प्रकट की कि संगीत के छात्रों में शास्त्रीय संगीत के प्रति रूचि खत्म हो रही है, क्योंकि उन्हें सही वातावरण नहीं मिल पा रहा है, आज संगीत की डिग्री देखी जाती है। काटकर ने एक प्रश्न किया कि जिन्होंने संगीत केंद्रों की स्थापना की है, उनकी डिग्री किसी ने देखी है? संगीत, डिग्री मात्र से नहीं आता है, बल्कि सच्ची लगन और मेहनत से आता है, आज के दौर में छात्रों के पास इन चीजों के लिए समय नहीं है, इसलिए वे संगीत में महारथ हासिल नहीं कर पाते हैं।

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