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नई दिल्ली। पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में रोज़गारोन्मुख कौशल के सृजन के रूप में ड्राइवरों को प्रशिक्षण देने के लिए एक योजना शुरू की है। यह योजना, मंत्रालय की हुनर से रोज़गार नामक पहल का एक भाग है। योजना इस तथ्य पर जोर देती है कि समुचित संख्या में कुशल ड्राइवर पर्यटन के लिए अनिवार्य हैं।
भारत में, जहां पर्यटन के एक प्रमुख आर्थिक चालक के रूप में उभरने की काफी संभावनाएं हैं, एक पेशे के तौर पर ड्राइविंग के रोज़गार की व्यापक संभावना है। जैसा कि हुनर से रोज़गार पहल के अंतर्गत शुरू किए गए सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में होता है, इस योजना का समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं के प्रति विशेष झुकाव है। देश में 18 से 28 वर्ष के आयु वर्ग में कम से कम 10वीं पास युवाओं और युवतियों के लिए खुली इस योजना में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को प्रथम वरीयता दी जा रही है। आर्थिक मानदंड की अर्हता की शर्त के कारण यह योजना उन व्यक्तियों पर स्पष्ट रूप से रोक लगाती है, जोकि साधन संपंन हैं।
प्रशिक्षण के दो विशिष्ट आयाम होंगे, जिनमें एक- ड्राइविंग कौशल को प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण और दूसरा शिष्टाचार प्रशिक्षण। पहले उल्लेखित प्रशिक्षण 45 घंटे की अवधि का होगा। एक दिन का प्रशिक्षण 3 घंटे से ज्यादा का नहीं होगा। शिष्टाचार प्रशिक्षण, तीन दिन के लिए सुबह 11 बजे से सायं 5 बजे तक साथ-साथ संचालित किया जाएगा। प्रत्येक प्रशिक्षण कोर्स के अंतिम दिन होटल प्रबंध संस्थान में कैंपस साक्षात्कार भी होगा। यह योजना राज्य सरकारें और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन चलाएंगे, जो कि पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से ड्राइविंग स्कूल का चयन करेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए आवेदन प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आमंत्रित किए जाएंगे।
राज्य, संघ राज्य क्षेत्र में केंद्रीय होटल प्रबंधन संस्थान, राज्य सरकारें, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की निगरानी के अंतर्गत शिष्टाचार का संचालन करेंगे। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण कोर्स पूर्ण करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को संबंधित राज्य सरकारें, संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासन प्रमाणपत्र प्रदान करेंगे। प्रशिक्षण, प्रमाणन, प्रशिक्षणार्थियों को दिए जाने वाले भोजन और वज़ीफे और आदर्श मानकों के अनुसार प्रशासनिक व्यवस्था की लागत की पूर्ति के लिए पर्यटन मंत्रालय धन उपलब्ध कराएगा। योजना में खर्च को राज्य एवं क्षेत्र प्रशासन के विवेक पर रखा गया है, जो कि स्वयं प्रशिक्षण संस्थानों को भुगतान करेंगे। राज्य सरकारें, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों को रोज़गार देने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगे।