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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा के 66वें सत्र में हिस्सा लेने के लिए न्यू यार्क रवाना हो गए हैं। अमेरिका रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब पूरी दुनिया कई तरह की चुनौंतियों का सामना कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था, आर्थिक मंदी के बीच फंसी हुई हैं, इसके साथ ही महंगाई से संबंधित दबाव और कई अन्य समस्याएं हैं। पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और खाड़ी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल देखने को मिल रही है और आने वाले समय में दुनिया के इस महत्वपूर्ण हिस्से में हालात कौन सा रूप अख़तियार करेंगे, इसमें अनिश्चिता की स्थिति बनी हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि फिलस्तीन का सवाल भी अभी अनसुलझा है और अंर्तराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद और गैर पारंपरिक खतरे जैसे- समुद्री लुटेरे, विभिन्न देशों की सरकारों और अंर्तराष्ट्रीय राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी देशों के लिए अब और भी जरूरी है कि अब वह इन चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करें, संयुक्त राष्ट्र के लिए भी यह समय अपने वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 19 वर्षो के अंतराल के बाद भारत इस साल जनवरी से सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि अंर्तराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने एवं विकासशील देशों के दृष्टिकोण को सामने लाने की हमारी कोशिश ने सुरक्षा परिषद में विचार-विमर्श को समृद्ध तथा इसे और अधिक प्रभावशाली बनाया है, सुरक्षा परिषद को निष्पक्ष विश्वसनीय और कारगर संस्था के रूप में देखा जाना चाहिए, मैं इस विश्वस्तरीय संगठन में जल्दी सुधार करने, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद के विस्तार की जरूरत पर जोर दूंगा, मैं अपनी इस यात्रा के दौरान ईरान, दक्षिण सूडान, श्रीलंका के राष्ट्रपति तथा जापान और नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक में भी हिस्सा लूंगा।