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जयपुर। महिला और बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राजस्थान में जैसलमेर के जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह तीन नवजात लड़कियों की मौत से जुड़ी परिस्थितियों की दोबारा जांच करे। नवजात शिशुओं की हत्या की शिकायतों की जांच के लिए एनसीपीसीआर के एक दल ने हाल ही में जैसलमेर का दौरा किया था। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़ने के बाद उनके परिवार वालों ने इन शिशुओं की पिछले महीने हत्या कर दी थी। दल से कहा गया है कि वह आयोग को दस दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट दे।
शिशु हत्या और बाल अधिकारों के हनन से जुड़े अन्य मामलों की शिकायतों की जांच के लिए एनसीपीसीआर के सदस्य डॉ दिनेश लारोइया, डॉ योगेश दुबे, विनोद कुमार, बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रहे जोधपुर के एक एनजीओ विकल्प के प्रतिनिधि योगेश और एनसीपीसीआर की परामर्शदात्री शैफाली ने 15 से 17 सितंबर तक जैमलमेर और जोधपुर का दौरा किया। हालांकि नवजात लड़कियों की हत्या के मामले की राज्य सरकार जांच करा चुकी है और उसकी जांच में पाया गया है कि इनकी स्वाभाविक मौत हुई थी, लेकिन जांच दल को छोर, सीतादोई और देवड़ा गांव और देवीकोटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दाइयों और नर्सों के बयान में काफी अंतर देखने को मिला। जांच दल ने पाया कि बच्चे के जन्म से पहले गर्भवती महिलाओं की देखभाल संबंधी रिकार्ड भी ठीक से नहीं रखे जाते हैं।
जांच दल ने बाल अधिकारों के हनन के एक मामले में पाया कि जैसलमेर के बाल गृह में एक 16 साल के लड़के को एक काल कोठरी में कैद करके रखा गया था, इस बच्चे को उसके मौलिक अधिकारों और सुविधाओं से वंचित रखने से चिंतित बाल संरक्षण आयोग ने जिला प्रशासन से उसके अधिकारों को तत्काल बहाल करने को कहा।