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नई दिल्ली। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गंगा में प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमे राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को विश्व बैंक से भारी भरकम सहायता राशि मिलने की बात कही गयी है। इस परियोजना का स्थानीय आबादी के लिए काफी महत्व है, इससे गंगा के साथ लगे शहरों और कस्बों से नदी में आने वाले मलमूत्र के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना में सात हजार करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। विश्व बैंक बोर्ड ने इस परियोजना को 31 मई 2001 को मंजूरी दे दी थी। विश्व बैंक के साथ ऋण के समझौते पर 14 जून 2011 को हस्ताक्षर किये गये। विश्व बैंक, भारत सरकार को तकनीकी सहायता और एक अरब अमरीकी डॉलर यानी करीब 4600 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगा। भारत सरकार का अंश 5100 करोड़ रुपये होगा और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड़ और पश्चिम बंगाल का 1900 करोड़ रुपये होगा।