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कार्ययोजना बनाकर हिमनदों को बचाएं

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कार्यशाला में राज्यपाल-governor at workshop

देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान में आयोजित 'हिमालय के हिमनद और समुदाय के उत्तरदायित्व' विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया और कहा 'हिमनदों के पिघलने से पर्यावरण और पारिस्थितिकी को उत्पन्न खतरों से बचाने के लिए इस विषय के विशेषज्ञों/वैज्ञानिकों, सरकारी एवं स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का एक 'कोरग्रुप' गठित करना होगा। कोर ग्रुप निर्धारित कार्ययोजना, हिमनदों के निकट रहने वाले स्थानीय समुदाय के जीवन की कठिनाईयों को कम करते हुए उन्हें पर्यावरण के प्रति उनके उत्तरदायित्वों के लिए भी जागरूक करेगा। कार्ययोजना को जन-अभियान के रूप में चलाकर ही पर्यावरण असंतुलन से उत्पन्न कठिन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

उन्होंने ग्लेशियरों के पिघलने से संभावित सिंचाई और पेयजल संकट से उत्पन्न संकट के साथ-साथ बढ़ते कार्बन-डाई-आक्साइड के खतरों, पारिस्थितिकी, सामाजिक और अर्थव्यवस्था के लिए उत्पन्न चुनौतियों की भयावहता पर भी व्यापक प्रकाश डाला। ग्लोबल वार्मिग के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों के प्रति सचेत करने वाली आईपीसीसी (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज) की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि पारिस्थितिकी के असंतुलन से उत्पन्न गंभीर विपरीत परिणाम हमारी जैव-विविधता, पशु-प्रजातियों सहित उन सभी को भुगतने होंगे, जिनकी जीविका प्रकृति पर निर्भर हैं।

राज्यपाल ने इस विषय को सम-सामायिक, महत्वपूर्ण और वैश्विक चिंता का विषय बाताते हुए कहा कि 'वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान', 'यू सेक' औरा 'हेस्को' के संयुक्त प्रयास से आयोजित कार्यशाला ने उन वैज्ञानिकों और विभिन्न संस्थाओं को वैचारिक आदान-प्रदान करने के लिए एक पटल प्रदान किया है, जो हिमालयी पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं। संस्थान के समर्पित वैज्ञानिकों के सहयोग से यह संस्थान हिमालयी अनुसंधान के क्षेत्र में किये गये अनेक शोधों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।

उन्होंने कहा कि 2005 में इसरो के तकनीकी सहयोग से स्थापित उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, विभिन्न विभागों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, संरचनात्मक विकास, पर्यावरण अनुश्रवण और आपदा न्यूनकरण संबंधी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहा है। उन्होंने हिमालयी सरोकारों और स्थानीय संसाधनों के आधार पर स्थानीय समुदाय के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए समर्पित संस्था 'हेस्को' के कार्यों की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि कार्यशाला में इन तीन संस्थाओं के संयुक्त चिंतन और वैचारिक आदान-प्रदान से निष्कर्ष निकालकर जो कार्ययोजना तैयार की जायेगी वह निश्चित ही हिमालय क्षेत्र के निकट के स्थानीय समुदाय के दैनिक जीवन की कठिनाईयों को कम करने में सहायक होने के साथ-साथ पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए आवश्यक और सुरक्षित उपायों को उनकी दिनचर्या में शामिल करने में भी सफल होगी।

राज्यपाल ने एसपी नौटियाल लाईब्रेरी और म्यूजियम का भी अवलोकन किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ राज्यपाल ने परंपरागत रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। स्वागत भाषण संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अनिल के गुप्ता ने दिया। कार्यशाला के विषय में विस्तृत जानकारी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वीसी तिवारी ने दी। हैस्को के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री डॉ अनिल पी जोशी ने सामुदायिक उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डाला। यूसैक के निदेशक डॉ एमएम किमोठी ने अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उद्घाटन सत्र में पर्यावरणविद् डॉ हर्षवंती विष्ट, पीसीसीएफ डॉ आरबीएस रावत, पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ एसजे चोपड़ा, राज्यपाल के परिसहाय मेजर चौधरी सहित अनेक वैज्ञानिक, केंद्र और राज्य सरकार के विशेषज्ञ एवं विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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