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हरियाणा पुलिस ने किया बच्‍चे का उत्पीड़न

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चंडीगढ़। महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत बाल अधिकार संरक्षण के राष्‍ट्रीय आयोग ने उस बच्‍चे को राहत प्रदान की है, जिसे एक छोटे से अपराध के लिए हरियाणा पुलिस ने हिरासत में लिया और उसके साथ दुर्व्‍यवहार किया। अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्‍तान टाइम्‍स में 2 अप्रैल 2011 को प्रकाशित एक रिपोर्ट का आयोग ने स्‍वत: संज्ञान लिया।

रिपोर्ट के अनुसार इस बच्‍चे को एक वाहन चोरी के आरोप में 28 मार्च 2011 को हिरासत में लिया गया था और इस वाहन के मालिक ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी, जिसके आधार पर गुडगांव पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की। बच्‍चे की गिरफ्तारी 29 मार्च को दिखायी गई, जबकि बच्‍चे के परिवार के सदस्‍यों का आरोप है कि उसे 28 मार्च को ही घर से उठा लिया गया था और पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा हुआ था और उसके साथ दुर्व्‍यवहार किया।

आयोग की जांच से यह तथ्य साबित हुआ कि बच्‍चे को गैर कानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया था और पुलिस हिरासत में उसका उत्‍पीड़न किया गया था। किशोर न्‍याय (देखभाल और संरक्षण) कानून 2000 के अंतर्गत किसी भी बच्‍चे को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

एनसीपीआर के सदस्‍य और इस मामले की जांच कर रहे दल के प्रमुख विनोद कुमार टिक्‍कू ने बताया कि आयोग ने मुख्‍य सचिव और गुडगांव के उपायुक्‍त और अन्‍य संबद्ध विभागों को भेजी अपनी सिफारिशों में राज्‍य सरकार को निर्देश दिया कि वह दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे, बच्‍चे को 25 हजार रूपये की अं‍तरिम राहत दे और जल्‍द से जल्‍द उसके शैक्षणिक अधिकार सुनिश्चित करे।

सन् 2007 में महिला और बाल विकास के देश के 13 राज्‍यों में कराये गये एक अध्‍ययन में पता चला कि लड़के और लड़कियां दोनों ही दुर्व्‍यवहार का शिकार होते हैं और 53 प्रतिशत से ज्‍यादा यौन उत्‍पीड़न का शिकार बन चुके होते हैं। इस अध्‍ययन में 12,500 बच्‍चों और 4800 किशोरो को शामिल किया गया था। अध्ययन में बताया गया है कि अन्‍य राज्‍यों की तुलना में आंध्र प्रदेश असम, बिहार और दिल्‍ली में अधिक बच्‍चे दुर्व्‍यवहार का शिकार बनते हैं।

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