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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 43वें सम्मेलन का उद्घाटन किया और आतंकवाद की चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा की तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत है, सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। भारत के आर्थिक और प्रौद्योगिकीय कौशल को विश्व भर में पहचान मिलने, आतंकवाद की चुनौतियों, वामपंथी उग्रवाद और विद्रोही गतिविधियों, उत्पादन बढ़ाने के लिए व्यवहारिक रणनीति तय करने की जरूरत, वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में उत्पादकता, संविधान की छठी अनुसूची के संदर्भ में राज्यपालों की भूमिका और भ्रष्टाचार रोकने और उससे मुकाबला करने के लिए बहुआयामी रणनीति बनाने की जरूरत पर भी उन्होंने बल दिया।
प्रतिभा पाटिल ने कहा कि देश ने कंपनी और सेवा क्षेत्र में सराहनीय विकास तो किया है, लेकिन इस कृषि प्रधान देश में किसानों की स्थिति में संतोषजनक सुधार नहीं हुआ है। भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत बनाना जरूरी है, इसके लिए हमें अपनी नीतियां सावधानी पूर्वक तैयार करनी चाहिएं, ताकि हम अपनी कृषि अर्थव्यवस्था को कम निवेश, कम उत्पादकता और कर्ज के बोझ से बाहर निकाल सकें। उन्होंने कहा कि शांति, सुशासन और कल्याणकारी कार्यों को बढ़ावा देने के लिए छठी अनुसूची में राज्यपालों की विशेष जिम्मेदारी है। भ्रष्टाचार पर राष्ट्रपति ने कहा कि इससे विकास में बाधा आती है और इसमें आम आदमी सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, भ्रष्टाचार का सफाया करना जरूरी है।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आशा व्यक्त की है कि सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान निर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाने में सक्षम होगी। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति को काबू में रखकर निरंतर उच्च विकास दर को बनाए रखना है। उन्होंने हाल के महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने 11वीं योजना में इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं और 12वीं योजना में भी यह काम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उठाए गए वित्तीय और मौद्रिक उपाय जारी रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद ने हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा किया है। पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्यों के उठाए गए कदमों के सकारात्मक नतीजे निकले हैं। वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए अतिरिक्त केंद्रीय बल तैनात किए गए हैं और विद्रोही गतिविधियों से निपटने के लिए राज्य पुलिस बल को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के जो हिस्से इससे प्रभावित हैं, उनमें अधिकतर पिछड़े और कमजोर हैं। अनुसूचित इलाकों का तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए राज्यपालों की प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण भूमिका है। इस संदर्भ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों के लिए विकास कार्यक्रमों को प्रभावकारी तरीके से लागू करना काफी महत्व रखता है। विकास कार्यक्रमों को लागू करने में राज्यपाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रैगिंग की समस्या पर उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में युवा पुरूषों और महिलाओं का शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, रैगिंग रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर चुका है और सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रगतिऔर विकास के हमारे प्रयास तभी पूरी तरह असरकारक होंगे जब हम सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे और शासन की प्रक्रिया में सुधार करेंगे। उन्होंने कहा किअब समय आ गया है जब हमें इस दिशा में निर्णायक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। संसद में लोकपाल विधेयक के अलावा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने संबंधी एक विधेयक पेश किया जा चुका है। सरकार अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के लिए कानून बनाने की दिशा में काम कर रही है।