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अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने कहा है कि पवित्र लक्ष्य प्राप्त करने के लिये ईश्वर भी साथ देता है, तीस अक्टूबर और दो नवंबर 1990 को श्रीराम जन्मभूमि की प्रथम कारसेवा के शहीदों ने भगवा ध्वज फहरा कर अपने बलिदान को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित करा दिया। इस बलिदान की प्रेरणा से ही 6 दिसंबर 1992 को हिंदू समाज ने कलंकित ढांचे को श्रीराम की जन्मभूमि से हटा दिया, अब मंदिर निर्माण के लिये एक बार पुनः हिंदू समाज को संकल्पबद्ध होना होगा।
महंत नृत्यगोपाल दास ने दिगंबर अखाड़ा में आयोजित कारसेवक शहीद दिवस पर उपस्थित लोगों के बीच कहा कि 1857 में देश की स्वतंत्रता की नीव पड़ी थी और सौ वर्ष के संघर्ष के बाद अंग्रेजों से इस देश को मुक्ति मिली, उसी प्रकार श्रीराम जन्मभूमि की लड़ाई में लगातार स्वतंत्रता के संघर्ष का बिगुल बजता रहा और 30 अक्टूबर 2 नवंबर को शहीद कारसेवकों ने कलंकित ढाँचे पर भगवा फहरा कर अपने संकल्प को प्रदर्शित किया। शहीद कारसेवकों की प्रेरणा से ही 6 दिसंबर का स्वर्णिम दिन प्रकट हुआ इसीलिए कहा जाता है कि जब कोई पवित्र लक्ष्य लेकर हम चलते हैं तो उसका मार्गदर्शन साक्षात् ईश्वर करता है। उन्होंने कहा श्री हनुमानजी की कृपा से श्रीराम जन्मभूमि का निर्माण भी शीघ्र होगा और बलिदानी कारसेवकों को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि भी तभी होगी।
विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री चंपत राय ने कहा कि श्रीराम, हिंदू समाज के प्राण हैं, साक्षात् धर्म के रूप हैं, जब-जब देश और समाज पर आक्रमणकारियों ने हमले किये, तब-तब उन्हें सबक सिखाने में हमारे धर्म-ग्रंथों और साधु-संतों ने समाज का मार्गदर्शन किया और श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन धार्मिक स्वतंत्रता का महाजागरण है, कारसेवा के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति का स्मरण कर रहे हैं कि कब हमें यह पवित्र लक्ष्य प्राप्त होगा, इस आंदोलन ने देश से छुआ-छूत, ऊँच-नीच, भाषा-प्रांत के विभेद को समाप्त किया है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि देश में वोट बैंक की राजनीति ने समाज को भटकाने का प्रयास किया है।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने कहा इस धार्मिक युद्ध में जो शहीद हुए है, उनका हिंदू समाज ऋणि है और इस ऋण को चुकाने का एक ही मार्ग है कि प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर शीघ्र भव्य मंदिर का निर्माण हो। संकादिक आश्रम के महंत कन्हैयादास ने कहा मंदिर निर्माण में तथाकथित सेक्युलरवाद बहुत बड़ा बाधक है, आज हमें राम और रामायण से विमुख करने की चेष्टा की जा रही है, श्रीराम और उनके लीलामयी संस्मरण को हम किसी भी कीमत पर सेक्युलरवाद का निशाना नही बनने देंगे, उनकी जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण अवश्य होगा। अध्यक्षीय भाषण में महंत नारायणाचारी ने कहा इस राष्ट्र को धर्म ने ही सुरक्षित रखा है, हिंदू समाज और उसकी संस्कृति अगर सुरक्षित है तो वह राम और कृष्ण के व्यक्तित्व को लिपिबद्ध करने वाले महान संतों की सद्प्ररेणा के कारण है, श्रीराम जन्मभूमि पर शहीद होने वाले कारसेवकों को हम विस्मृत नही कर सकते, उनके बलिदान के कारण ही वह कलंक समाप्त हुआ।
इस अवसर पर दिगंबर अखाड़ा होशंगाबाद के महंत सुदर्शनाचार्य, महामंडलेश्वर सीताराम त्यागी, महंत कृष्णाचार्य, महंत रामलखन गवही, महंत गोविंद दास, महंत बृजमोहन दास, प्रकाश अवस्थी, हरिशंकर सिंह, शंभूनाथ आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन धर्माचार्य संपर्क प्रमुख उमाशंकर मिश्र ने किया तथा पूजन पंडित नारद शास्त्री ने कराया।