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नई दिल्ली़। सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा है कि डीएवीपी को भी निजी क्षेत्र की तरह पेशेवर बनना होगा, विज्ञापन क्षेत्र के विकास के लिए परिमाण मानदंड बहुत महत्वपूर्ण हैं, सभी विज्ञापनकर्ता चाहते हैं कि उनके संसाधनों का सही स्थान, सही समय और सही मूल्य पर इस्तेमाल हो। दिल्ली में एडेशिया 2011 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सोनी ने उल्लेख किया कि पिछले दस वर्ष में भारत में विज्ञापन बाजार लगभग दस हजार करोड़ रुपए से बढ़कर तीस हजार करोड़ रुपए तक जा पहुंचा है, जो अन्य देशों के लिए ईर्ष्या का विषय है। उन्होंने कहा कि पाठकों की संख्या और टेलीविजन की रेटिंग संबंधी मीडिया परिमाण प्रणालियों को देश की जनसांख्यिकी वास्तविकताओं तथा सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक विविधताओं के अनुरूप होना चाहिए।
सूचना मंत्री ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग में व्यापार अवसरों की चर्चा करते हुए कहा कि हाल में जो नीति-संबंधी निर्णय लिये गये हैं, उनसे विकास की संभावनाएं बढ़ी हैं, प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में जो विकास हुआ है, वह देश में बढ़ते साक्षरता स्तर को परिलक्षित करता है, आज हर रोज अखबारों की दस करोड़ सत्तर लाख से अधिक प्रतियां छप रही हैं, इसी प्रकार दस करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं और यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, संचार सुविधाएं आसानी से आम आदमी को उपलब्ध हों, इसके लिए सरकार ने हाल में राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बनाये जाने को मंजूरी दी है, ताकि ग्राम स्तर पर ब्रॉड-बैंड की कनेक्टिविटी उपलब्ध हो।
सोनी ने कहा कि प्रसारण उद्योग-रेडियो और टेलीविजन में तो विकास और तेजी से हुआ है, दस टेलीविजन चैनलों से बढ़कर आज राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर चैनलों की संख्या 800 हो गई है और ये चैनल 20 से अधिक प्रमुख भाषाओं में है, टेलीविजन की सुविधा अब चौदह करोड़ घरों तक पहुंच गई है, केबल टीवी सेवाओं में डिजिटल प्रणाली शुरू होने से 2014 के अंत तक केबल टीवी की पुरानी किस्म की सेवाएं खत्म हो जाएंगी और गुणवत्ता में भी सुधार होगा, एफएम-3 नीति से 280 से अधिक शहरों में 839 रेडियो स्टेशन खुल सकेंगे। उन्होंने सामुदायिक रेडियो प्रणाली जैसे साधनों के उपयोग को बढ़ाने की बात भी कही, ताकि देश की अधिक से अधिक जनसंख्या लाभांवित हो सके।
सरकार की विज्ञापन संबंधी पहल के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि सरकार, विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय(डीएवीपी) को और अधिक पेशेवर बनाने जा रही है, ताकि यह निजी क्षेत्र से स्पर्द्धा कर सके, विज्ञापन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए, इसका पूरी जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करना जरूरी है। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के हित में स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी संदेश प्रसारित करने के लिए निजी क्षेत्र के विज्ञापनकर्ताओं के साथ मिलकर निगमित सामाजिक दायित्व की जिम्मेदारियों को पूरा करने पर भी जोर दिया। सोनी ने यह भी कहा कि भारत निर्माण और अतुल्य भारत जैसे अभियानों से देश की छवि सुधरी है।
सम्मेलन में ऑनलाइन मीडिया की भी काफी चर्चा हुई और विचार-विमर्श में यह बात प्रमुखता से सामने आई कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन बाजार का रुख इस तरफ हो चुका है, युवा वर्ग और कारपोरेट घराने, रीयलस्टेट, सौंदर्य प्रसाधन सहित विभिन्न उत्पाद, निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र के बैंक इंटरनेट पर आ गए हैं और इंटरनेट उनकी मार्केटिंग की बहुतसारी आवश्यकताएं पूरी कर रहा है। दूसरे देशों में तो विज्ञापन बाजार ने विख्यात ऑनलाइन समाचार पोर्टलों पर बहुत पहले ही स्पेस खरीद लिए हैं। भारत में इंटरनेट की गति बहुत तेज है, जिसका प्रभाव बहुत जल्दी ही प्रिंट मीडिया के विज्ञापन व्यवसाय पर पड़ना लाजिमी है।