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नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर भी सोमवार से भ्रष्टाचार के खिलाफ मैदान में आ गए। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके अभियान की शुरूआत भी उत्तर प्रदेश जौनपुर जिले से हो रही है। अभी केवल चार दिन की यह यात्रा कई संदेश दे रही है, जिसमें प्रमुख संदेश यह है कि उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है, लिहाजा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू करने के लिए यह राज्य सबसे उपयुक्त है। विवादों और राजनीतिक अड़ंगेबाजी से बचने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने इस अभियान को महासत्संग का नाम दिया है। यह किसी का एक प्रायोजित अभियान माना जा रहा है, मगर फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि इस अभियान का असली प्रायोजक कौन है। श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में रॉबर्टगंज, मिर्जापुर, सुल्तानपुर और कानपुर का दौरा बताया गया है। योगगुरु बाबा रामदेव ने भी इस यात्रा का समर्थन किया है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव को देखते हुए यह अभियान बहुत महत्वपूर्ण है और प्रदेश के राजनीतिक हालात को प्रभावित करता है। बाबा रामदेव ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश में झांसी से ही की थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रही टीम अन्ना भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जगह-जगह जनसभाएं करेगी। श्रीश्री रविशंकर के अभियान का यूं तो भाजपा ने समर्थन किया है, लेकिन यह अभियान किसके पक्ष में जाएगा यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां ने तो कहा है कि कई बाबा यात्रा कर रहे हैं, पहले बाबा रामदेव ने यात्रा निकाली फिर बाबा अन्ना हजारे और अब बड़ी ज़ुल्फों वाले बाबा श्रीश्री रविशंकर यात्रा निकाल रहे हैं।
उधर एक अन्य आध्यात्मिक गुरु सुधांशुजी महाराज ने साधु-संतों को राजनीति से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा है कि धर्मगुरुओं को धर्म के ही कार्य करते हुए समाज का कल्याण करना चाहिए, साधु संतों का भ्रष्टाचार के विरोध में होना तो ठीक है, लेकिन उनका राजनीतिक उपयोग या दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसे किसी भी कदम से उनसे निहित जनता का विश्वास डगमगा जाएगा। सुधांशु महाराज ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे गांधीवादी अन्ना हजारे को आज की आवाज कहा, लेकिन यह भी कहा कि अन्ना हजारे और सरकार दोनों को ही दबाव बनाने के बजाए अपने वादों को निभाने पर ध्यान देना चाहिए।