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आईसीएमआर का शताब्‍दी वर्ष

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आईसीएमआर का शताब्‍दी वर्ष

नई दिल्ली। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शताब्‍दी समारोहों का शुभारंभ किया। यहां आयोजित कार्यक्रम में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्‍बल ने भी भाग लिया। इस अवसर के प्रतीक के रूप में एक स्‍मारक डाक टिकट जारी किया गया। इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री एस गांधीसेल्‍वन और सुदीप बंद्योपाध्‍याय भी उपस्थित थे। गुलाम नबीं आजाद ने आईसीएमआर के एक सौ वर्ष के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि आईसीएमआर ने देश के सामने स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अनेक समस्‍याओं के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाने में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान किया है।
आईसीएमआर के शताब्‍दी वर्ष के प्रतीक के रूप में स्‍मारक डाक टिकट जारी करते हुए मानव संसाधन विकास, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्‍बल ने कहा कि चिकित्‍सा अनुसंधान, स्‍वास्‍थ्‍य और अर्थव्‍यवस्‍था का आपस में अन्‍योन्‍याश्रय संबंध है। उन्‍होंने कहा कि चिकित्‍सा अनुसंधान के बल पर मृत्‍यु दरों में काफी गिरावट हुई है और जीवन रक्षा दरों में वृद्धि हुई है।

भारत सरकार ने वर्ष 1911 में देश में जैव-चिकित्‍सा अनुसंधान को विकसित करने, उसका संवर्द्धन करने और उसके संचालन के लिए एक अग्रणी राष्‍ट्रीय एजेंसी के रूप में भारतीय अनुसंधान निधि संघ स्‍थापित किया था। वर्ष 1949 में इसे भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद के रूप में माना गया।

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