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संत पीटर्स बर्ग। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन जोन की बैठक में व्यापार और निवेश की राह में आने वाली बाधाओं को हटाने का आह्वान किया है। ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह बैठक संत पीटर्स बर्ग में 7 नवंबर को हुई। भारत की तरफ से शिंदे ने कहा कि एससीओ को क्षेत्रीय समाधानों के जरिए सीमित आवाजाही की समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए, भारत इस समस्या का व्यवहारिक समाधान ढूंढने में सहयोग करने को तैयार है, साथ ही वह मध्य और दक्षिण एशिया के बीच संपर्क बनाने के प्रयासों में सहयोग के लिये भी तैयार है।
उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की चुनौतियों से जूझ रही है, इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वैश्विक रूप से एक दूसरे से जुड़े होने की वजह से एससीओ क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह सकता। एससीओ फ़ोरम में नियमित रूप से भाग लेने वाले देश अफगानिस्तान को लेकर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि हाल में अफगानिस्तान की भूमिका को सही तरीके से पहचाना गया है, क्योंकि यह न सिर्फ मध्य और एशिया को जोड़ता है, बल्कि यूरेशिया और मध्य एशिया (मिडिल ईस्ट) के बीच सेतु का काम भी करता है।
इस साल अस्ताना सम्मेलन में नये सदस्यों को शामिल किये जाने के एससीओ के विनियमों का स्वागत करते हुए शिंदे ने जोर देते हुए कहा कि पूर्ण सदस्य के रूप में भारत और अधिक रचनात्मक एवं बड़े पैमाने पर सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है। बैठक से अलग शिंदे ने अफगानिस्तान के दूसरे उपराष्ट्रपति मोहम्मद करीम खलीली के साथ द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर विचार विमर्श किया। शिंदे ने रूस के प्रधानमंत्री पुतिन, चीन के प्रधानमंत्री वेन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी और अन्य नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की।
इस बैठक का आयोजन रूस के प्रधानमंत्री ब्लादीमीर पुतिन ने किया था और इसमें एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एससीओ के सदस्य देश-रूस, चीन, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और किरगिज रिपब्लिक हैं। भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में शामिल हुए, जबकि अफगानिस्तान को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया गया था।