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नेहरू पोर्ट का वेनिस पोर्ट से करार

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चेन्‍नई। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्‍ट एवं वेनिस पोर्ट प्राधिकरण ने चेन्‍नई में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री जीके वासन की उपस्थिति में एक समझौते पत्र पर हस्‍ताक्षर किए। जेएनपीटी की ओर से इसके अध्‍यक्ष एल राधाकृष्‍णन ने भाग लिया, जबकि कैप्‍टन ऐंटोनियो रेवेडीन ने वेनिस पोर्ट प्राधिकरण की ओर से प्रतिनिधित्‍व किया।
भारत-इटली व्‍यापार सहयोग के लिए इस समझौते को मील का पत्‍थर बताते हुए वासन ने कहा कि इससे समुद्री गतिविधियों में आपसी मित्रता के एक नए युग की शुरूआत हुई है। यूरोप एवं भारत के बीच प्राचीन काल से ही व्‍यापार होता रहा है, लेकिन स्‍वतंत्रता के बाद मशीनरी आदि ही यूरोप से आयात की जाती थी, इटली से लघु और मझोले उद्यमों के लिए मशीनरी का आयात और वस्‍त्र, कालीन और चमड़े से बनी वस्‍तुएं निर्यात की जाती थी, लेकिन सन् 1990 के बाद वैश्‍वीकरण के शुरूआत और यूरोप के एकीकरण के साथ व्‍यापार को और मजबूती मिली, जिससे भारत और इटली के बीच पोर्ट व्‍यापार को और बढ़ावा मिला।
दोनों पोर्टों का जिक्र करते हुए वासन ने कहा कि जेएनपीटी ठोस निपटान में भारत का सबसे बड़ा पोर्ट है और कंटेनर वर्ग में गत वर्ष भारत के सभी बड़े पोर्टों की बाजार हिस्‍सेदारी में इसका भाग लगभग 55 प्रतिशत है, वेनिस यूरोपियन पोर्ट में महत्‍वपूर्ण बंदरगाह है, जो परियोजना से संबंधित मालों के आवाजाही के लिए है। उन्‍होंने उम्‍मीद जाहिर की कि जेएनपीटी और वेनिस पोर्ट के बीच संबंधों में और मजबूती आएगी, जिससे नौवहन के सीधे आवागमन में मदद मिलेगी। क्रूज नौवहन में वेनिस पोर्ट की विशेषज्ञता भी जेएनपीटी के साथ साझा किया जा सकेगा ताकि भारत में पर्यटन क्षेत्र को और तेजी से विकसित किया जा सके।
यूरोप के साथ भारतीय व्‍यापार के बारे में वासन ने कहा कि जबसे यूरोपीय संघ अस्तित्‍व में आया है, तब से भारत सरकार, भारत और यूरोप के बीच व्‍यापार एवं वाणिज्‍य पर विशेष ध्‍यान दे रही है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि जेएनपीटी और वेनिस पोर्ट के बीच इस समझौते से दोनों देशों के उद्देश्‍यों की प्राप्ति के साथ-साथ पोर्ट संचालन, पोर्ट प्रबंधन, समुद्री निर्माण और मानव संसाधन विकास से संबंधित क्षेत्रों में आपसी मदद और सहयोग स्‍थापित हो सकेगा।

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