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अयोध्या। कारसेवकपुरम में तीन से बारह नवंबर तक चले दुर्गा वाहिनी के अखिल भारतीय शिक्षिका प्रशिक्षण वर्ग का समापन विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री डॉ प्रवीणभाई तोगड़िया ने किया और कहा कि संत धर्माचार्यों ने जब-जब युवाशक्ति का मार्गदर्शन किया तो राष्ट्र में नवक्रांति हुई, 6 दिसंबर की घटना भी उसी का एक अंश है, इसलिए श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भी देश का प्रत्येक युवा संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि लाखों वर्ष से हिंदू समाज में अयोध्या और श्रीराम के प्रति जो विश्वास है, न्यायिक निर्णय आने के पश्चात उसको काफी बल मिला है, शीघ्र ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो इसके लिये संत, धर्माचार्यों के बीच बैठकर कार्य योजना तैयार की जाएगी।
कारसेवकपुरम देश भर की 160 प्रशिक्षार्थियों ने भाग लिया जिन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रशिक्षित कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का आह्वान किया गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुये विहिप महामंत्री ने कहा कि मृत्यु के बाद व्यक्ति को मुक्ति का मार्ग चाहिए और वह हिंदू धर्म में ही संभव है, हिंदू समाज मुक्ति की चाह नही बल्कि राष्ट्र और समाज के लिये लगातार संघर्षरत होकर अपने उत्तरदायित्वों को निर्वहन करने की दृढ़ इच्छाशक्ति समाहित है। उन्होंने कहा हिंदू धर्म की रक्षा के लिये हमें अपने को होम करना पड़ सकता है, इसके लिये तैयार रहने की आवश्यकता है, भारतीय पुरातन संस्कृति और सनातन धर्म के जीवन मूल्यों की रक्षा हिंदू धर्म को सुरक्षित रखने में ही है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या धर्म की नगरी है, जहां पर मन, वचन और कर्म का पालन करते हुये प्रभु श्रीराम ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया, स्वयं को समर्पित किया और राक्षसी प्रवर्तियों पर विजय प्राप्त कर धर्म की स्थापना की। दुर्गा वाहिनी के प्रशिक्षण वर्ग से युवतियों में नवशक्ति का संचार जहां होता है, वहीं राष्ट्र और समाज के प्रति उनके उत्तरदायित्वों को बोध कराने में भी इस वर्ग का महत्व है। विश्व हिंदू परिषद के अनुसांगिक संगठनों में दुर्गा वाहिनी, बजरंग दल जैसे युवा संगठनों ने हिंदू धर्म और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिये व्यापक कार्य योजनाओं को मूर्तरूप प्रदान किया है। युवक और युवतियों में राष्ट्र और समाज की रक्षा का भाव पैदा हो यह प्रयास विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से लगातार हो रहा है।
आध्यात्मिक वक्ता साध्वी डॉ सुनीता शास्त्री ने कहा युवतियों में दुर्गा का रूप विद्यमान है जो अपनी शक्ति से हर पवित्र लक्ष्य को प्राप्त कर राष्ट्र और समाज को अपना मार्गदर्शन दे सकती है। साध्वी ने कहा कि अयोध्या की भूमि भक्ति और त्याग की भूमि है, तुलसीदास, वाल्मीकि जैसे संतों ने इस धरा को अपने ग्रंथों से पुष्पित और पल्लवित किया है तो महाराजा भरत जैसे भाई ने राष्ट्र और समाज में त्याग के महत्व को समाज के समक्ष प्रस्तुत किया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने ‘निश्चर हीन करहिं महि’ का शंखनाद कर इस धरा को पापों से मुक्त किया।
विहिप के केंद्रीय मंत्री मातृशक्ति की अखिल भारतीय प्रमुख मीनाक्षी पिशवे ने कहा कि सामाजिक समरसता और देश की विभिन्न राष्ट्रीय समस्याओं पर 10 दिन तक मातृशक्ति और दुर्गा वाहिनी की बहनों ने मंथन कर भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों की रक्षा का संकल्प लिया, देश के विभिन्न प्रांतों में शिक्षिका अपनी बुद्धि कौशल और कलाओं के माध्यम से संगठन को विस्तार देने में सहभागी होंगी। दुर्गा वाहिनी की अखिल भारतीय प्रमुख माला रावल ने बताया कि इसमें 34 प्रांतों से बहनों ने हिस्सा लिया और इसके अलावा नेपाल से भी बहने आईं। वर्ग में शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक जागरूकता के लिये देश भर से आये कुशल शिक्षकों के ने शिक्षा दी।