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नई दिल्ली। जैव प्रौद्योगिकी विभाग और वेलकम ट्रस्ट भारत में ‘सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अनुसंधान और विकास’ नामक संयुक्त वित्तपोषण पहल का प्रारंभ करेंगे। विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को भारत लौटाने के लिए इस विभाग ने ब्रिटेन के वेलकम ट्रस्ट के साथ मिलकर पोस्ट–डॉक्टोरल स्तर पर बायोमेडिकल अनुसंधान के क्षेत्र में फेलोशिप कार्यक्रम शुरू करने के लिए गठबंधन किया है। इन दोनों भागीदारों ने इसके लिए प्रति वर्ष 80 लाख पौंड का योगदान करने का वादा किया है। इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन एक स्पेशल पर्पज वीइकल ‘वेलकम ट्रस्ट-डीबीटी इंडिया अलायंस’ के जरिए हो रहा है। इस सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट का कार्यालय हैदराबाद में है।
ब्रिटेन के विश्वविद्यालयी विज्ञान मामलों के उपमंत्री डेविड विलेट्स, ज्ञान और नवाचार महानिदेशक सर एड्रियन स्मिथ और भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर रिचर्ड स्टैग, भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री डॉ अश्विनी कुमार ने बैठक के बाद बताया कि दोनों देश विभिन्न वैज्ञानिक और अनुसंधान परियोजनाओं को करीब 5-5 करोड पौंड की मदद देंगे। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अनुसंधानकर्ता, जिनमें ज्यादातर भारत के होंगे, साथ मिलकर अनूठे मेडिकल उत्पादों का विकास करेंगे। गुणवत्ता से समझौता किए बिना इन अनुसंधानों का लाभ वृहत आबादी तक पहुंचाया जाएगा। इस संयुक्त उपक्रम का उद्देश्य सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य उत्पादों जैसे दवाइयों, टीकों, स्टेम सेल और रिजेनेरिटव उत्पादों, पोषण के लिए बायोफोर्टिफाइड उत्पादों, डायग्नोस्टिक और इंप्लांट उपकरण, बायोइक्विपमेंट उत्पादों आदि ट्रांसलेशनल और नवाचार अनुसंधान परियोजनाओं की सहायता करना है।
वेलकम ट्रस्ट-डीबीटी इंडिया अलायंस अभी चार फेलोशिप योजनाएं चला रहा है। अर्ली कॅरियर (नव पीएचडी उत्तीर्ण लोगों के लिए) इंटरमीडिएट (4-7 सालों का पोस्ट-पीएचडी रिसर्च अनुभव रखने वालों के लिए) सीनियर (7-12 सालों का पोस्ट-पीएचडी रिसर्च अनुभव रखने वालों के लिए) और मार्गदर्शी फेलोशिप। मार्गदर्शी फेलोशिप को उन वैज्ञानिक नेतृत्वकर्ताओं के लिए शुरू किया गया है, जो पहले से ही किसी शोध प्रयोगशाला के प्रमुख हैं और अपनी मौजूदा संस्था (भारत या विदेश स्थित) को भारत में अलाभकारी संस्था के बतौर स्थानांतरित करना चाहते हैं, अब तक 52 फेलोशिप दिए जा चुके हैं।