स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वैश्विक वित्तीय ढ़ांचों के निर्माण के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था में निरंतर आ रही गिरावट को पारस्परिक विचार-विमर्श और समन्वय से थामा जा सकता है। इकतीसवें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन करने के पश्चात, वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र उच्च तकनीकीयुक्त उत्पादों और अभियांत्रिकी से संबंधित उत्पादों के निर्यात में बदलाव लाने के कारण तेजी से आगे बढ़ा है और यह अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का भी संकेत है, क्योंकि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में प्रगति जारी है। हालांकि वित्त मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय संकट के मद्देनजर संरक्षणवादी उपायों को अपनाए जाने के मामले पर चिंता भी जताई।
इस अवसर पर, विशेष अतिथि केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि आईआईटीएफ भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की परिकल्पना का एक अनूठा उदाहरण है। नेहरू ने भारत और उसके संस्थानों को विकास के अंतिम छोर तक ले जाने की नीति अपनाई थी। आनंद शर्मा ने कहा कि व्यापार और उत्पाद विविधता के मामले में वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को देखते हुए बनाई गई रणनीति से भारत को काफी लाभ मिला है, उन्होंने भारतीय उद्योग और निर्यातकों को विश्वास दिलाया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के व्यापार प्रदर्शन के सुधार के कार्य में सरकार हमेशा उनके साथ रहेगी।
इस वर्ष आईआईटीएफ में करीब 15 लाख दर्शकों के आने की उम्मीद है और 6 हजार अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय प्रतिनिधि अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। प्रगति मैदान में 14 दिन तक चलने वाले इस मेले में भारत के 27 राज्यों, 31 केंद्रीय मंत्रालयों और 260 निजी कंपनियों के अलावा 26 देशों के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस वर्ष के व्यापार मेले का विषय 'भारतीय हस्तशिल्प-निपुण हाथों का जादू' है। बुंदेलखंड और झारखंड को साझीदार राज्य बनाया गया है, तो वहीं बिहार और ओडिशा को फोकस राज्य का दर्जा दिया गया है। आनंद शर्मा ने व्यापार मेले में अफ्रीका के मंडप और हस्तशिल्प मंडप का भी उद्घाटन किया।