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नई दिल्ली। आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री किशोर चंद्र देव ने सोमवार को राज्यों के सचिवों, आयुक्तों, राज्य के प्रशासकों और केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों के साथ बैठक कर आदिवासी कल्याण मंत्रालय की ओर से अनुसूचित जन-जाति के हित के लिए विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराए जा रहे कोष के पूर्ण इस्तेमाल का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी उप-योजना के तहत विशेष केंद्रीय सहायता, आय के स्रोत पैदा करने वाली विभिन्न गतिविधियों को अनुसूचित जन-जाति के संपूर्ण विकास के लिए लागू किया जा सकता है और धारा 275 (1) के जरिए उपलब्ध राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। बैठक में आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री महादेव सिंह खंडेला भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री ने विशेष रूप से शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने पर रोक लगाने और एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल के लिए उपलब्ध राशि के इस्तेमाल का आह्वान किया, क्योंकि यह अनुसूचित जनजाति के लिए शैक्षणिक सुविधाएं विकसित करने के लिए लागू सफलतम योजनाओं में से एक है। केंद्रीय मंत्री ने अन्य शैक्षिणक संस्थानों जैसे-आश्रम स्कूल में भी शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री ने आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में सुधार पर भी जोर दिया और कहा कि आदिवासी इलाकों में वामपंथी उग्रवाद की समस्या को सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या मानकर नहीं सुलझाया जा सकता, इसके लिए सभी मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार उपलब्ध कराने होंगे।
राज्य मंत्री खंडेला ने कहा कि वर्ष 2010-11 के लिए आदिवासी कल्याण मामलों के मंत्रालय के कुल बजट का 97 प्रतिशत पैसा राज्यों को जारी किया जा चुका है, चालू वित्त वर्ष में भी मंत्रालय ने अपने बजट का 53 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए राज्यों को जारी कर दिया है। उन्होंने आशा जाहिर कि राज्य, आदिवासियों के कल्याण के लिए अधिक से अधिक संभावित राशि का इस्तेमाल करेंगे। बैठक में और भी मुद्दों पर चर्चा की गई, जैसे-धारा 275 (1) के तहत दिया गया अनुदान, आदिवासी उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता, अनुसूचित जनजाति के लड़के और लड़कियों के लिए छात्रावास, आदिवासी उप-योजना के इलाकों में आश्रम स्कूलों की स्थापना, अति पिछड़े आदिवासी समूहों का विकास, मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति, आदिवासी शोध संस्थानों को अनुदान, अनुसूचित जनजाति विकास निगम को अनुदान, अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को मदद, कम साक्षरता दर वाले जिलों में अनुसूचित जन-जाति की लड़कियों के बीच शिक्षा के स्तर को मजबूत बनाना और आदिवासी इलाकों में वोकेशनल प्रशिक्षण।